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भगवती सूत्र - दा. ९ उ ३३ जमाली का भविष्य
देवे देवकिव्विसियत्ताए उनवणे ?
४४ उत्तर - गोयमा ! जमाली णं अणगारे आयरियपडिणीए, उवज्झायपडिणीए; आयरिय उवज्झायाणं अयसकारए, अवण्णकारए, जाव पारमाणे, जाव वहडं वासाई सामण्णपरियागं पाउ rs, पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए तीसं भत्ताई अणसणाए छेदे,, तीसं० छेदित्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कंते कालमासे कालं किचा लंत कप्पे जाव उववण्णे ।
४५ प्रश्न - जमाली णं भंते ! देवत्ताओ देवलोगाओ आउक्खएवं जाव कहिं वज्जिहिह ?
४५ उत्तर - गोयमा ! चतारि, पंच तिरिक्खजोणिय मणुस्सदेवभवग्गहणाई संसार अणुपरियट्टित्ता तओ पच्छा सिज्झिहिइ, जाव अंतं काहिङ ।
* सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति
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वस तेत्तीस मो उद्देसो समत्तो ॥
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कठिन शब्दार्थ - अंताहारे-खाने के बाद बचा हुआ आहार, पंताहारे-तुच्छ आहार, उवसंतजीवी - शान्त जीवन वाला, पसंतजीवी - प्रशांत जीवन वाला, विवित्तजीवी- विविक्त जीवी – स्त्री, पशु, पण्डक रहित स्थान का सेवन करने वाला ।
भावार्थ - ४३ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या जमाली अनगार अरसाहारी ( रस रहित आहार करने वाला), विरसाहारी, अन्ताहारी, प्रान्ताहारी, रुक्षाहारी, तुच्छाहारी, अरसजीवी, विरपजीवी यावत् तुच्छजीवी, उपशांत जीवन वाला,
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