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________________ भगवती सूत्रः-ग.२ ३.३ किल्विपिक देवी का स्वरूप ३९ प्रश्न-कहिं णं भंत ! तिमागरोवमट्टिइया देवकिदिवसिया परिवसंति ? ३९ उत्तर-गोयमा ! उप्पिं मोहम्भीसागाणं कप्पाणं, हिटिं सणंकुमारमाहिंदेसु कप्पेसु एत्थ णं तिसागरोवमट्टिया देवकिदिवसिया परिवति । ४० प्रश्न-कहिं णं भंते ! तेरससागरोवमट्टिइया देवकिदिवसिया देवा परिवसंति ? ___४० उत्तर-गोयमा ! उप्पिं बंभलोगस्स कप्पस्स हिडिं लंतर कप्पे, एत्थ णं तेरससागरोवमट्टिईया देवकिदिवसिया देवा परिवति । कठिन शब्दार्थ-उम्पि-ऊँचा, हिट्ठि-नीच । भावार्थ-३७ प्रश्न-हे भगवन् ! किल्विषिक देव कितने प्रकार के कहे गये है ? . ३७ उत्तर-हे गौतम ! किल्विषिक देव तीन प्रकार के कहे गये हैं। यथा-तीन पल्योपम की स्थिति वाले, तीन सागरोपम की स्थिति वाले और तेरह सागरोपम को स्थिति वाले । . ३८ प्रश्न-हे भगवन् ! तीन पल्योपम की स्थिति वाले किल्विषिक देव कहाँ रहते हैं ? ३८ उत्तर-हे गौतम ! ज्योतिषी देवों के ऊपर और सौधर्म एवं ईशान देवलोक के नीचे तीन पल्योपम की स्थिति वाले किल्विषिक देव रहते हैं। ३९ प्रश्न-हे भगवन् ! तीन सागरोपम की स्थिति वाले किल्विषिक देव कहां रहते हैं ? ३९ उत्तर-हे गौतम ! सौधर्म और ईशान देवलोक के ऊपर तथा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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