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भगवती सूत्र-श. . उ. ३३ किल्विपी देवी का स्वरूप
आयाए अवक्कमइ, दोच्चं० अवक्कमित्ता बहूहिं असम्भावुभा. णाहिं तं चेव जाव देवकिन्विसियत्ताए उववण्णे। .
कठिन शब्दार्थ-कुसिस्से-कुशिष्य । .. भावार्थ-३६ प्रश्न-जमाली अनगार को कालधर्म प्राप्त हुआ जानकर गौतम स्वामी ने श्रमण भगवान महावीर स्वामी को वन्दना नमस्कार कर इस प्रकार पूछा-'हे भगवन् ! आप देवानुप्रिय का अन्तेवासी कुशिष्य जमाली अनगार काल के समय काल करके कहाँ गया, कहाँ उत्पन्न हुआ?' ..
.. ३६ उत्तर-'हे गौतम ! 'इस प्रकार सम्बोधित करके श्रमग भगवान् महावीर स्वामी ने इस प्रकार कहा-'हे गौतम ! मेरा अन्तेवासी कुशिष्य जो जमाली अनगार था, वह जब मैं इस प्रकार कहता था यावत् प्ररूपणा करता था, तब इस प्रकार की यावत् प्ररूपणा करते हुए मेरी बात पर श्रद्धा, प्रतीति, रुचि नहीं करता हुआ यावत् काल के समय काल करके किल्विषिक देवों में उत्पन्न हुआ है।
किल्विषी देवों का स्वरूप
३७ प्रश्न-कइविहा णं भंते ! देवकिब्विसिया पण्णत्ता ?
३७ उत्तर-गोयमा ! तिविहा देवकिदिवसिया पण्णत्ता, तं जहातिलिओवमट्ठिया, तिसागरोवमट्टिइया, तेरससागरोवमहिइया । . ... ३८ प्रश्न-कहिं णं भंते ! तिपलिओवमट्टिइया देवकिदिवसिया परिवसंति ?
३८ उत्तर-गोयमा ! उप्पिं जोइसियाणं हिटिं सोहम्मीसाणेसु कासु, एत्य णं तिपलिओवमटिड्या देवकिञ्चिसिया परिचसति ।
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