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भगवती सूत्र-श. ९ उ. ३३ जमाली चरित्र
कैसे मिलेगी ? ऐसा सोचकर उस समय उन भिग्वारी लोगों के लिये बनाया हुआ आहारादि ।
१५ प्राघूर्णकभक्त-पाहुनों के लिये बनाया हुआ आहारादि ।
१६ शय्यातरपिण्ड-साधुओं को ठहरने के लिये जो स्थान देता है, वह व्यक्ति 'भय्यातर' कहलाता है। उसके वहाँ का आहार आदि ‘शय्यातर पिण्ड' कहलाता है।
१७ राजपिण्ड-राजा के लिये तैयार किया गया, जिसका विभाग दूसरों को मिलता हो, वह आहार आदि ।
उपर्युक्त प्रकार का आहार आदि लेना साधु को नहीं कल्पता। . जमाली क्षत्रियकुमार ने उत्तर दिया कि आपका यह कथन ठीक है। कायर पुरुषों के लिये संयम पालना कठिन है, किन्तु शूरवीर पुरुषों के लिये कुछ भी कठिन नहीं है।
जमाली के माता-पिता विषय के अनुकूल और प्रतिकूल सभी प्रकार की युक्तियों मे जब उसे समझाने में समर्थ नहीं हुए, तब अनिच्छापूर्वक दीक्षा की आज्ञा दी।
२३-तएणं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! खत्तियकुंडग्गामं णयरं सभितरबाहिरियं आसिय-संमज्जि-ओवलित्तं जहा उसवाइए, जाव पञ्चप्पिणंति । तएणं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया दोच्चं पि कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ, सदावित्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! जमालिस्स खत्तियकुमारस्स महत्थं, महग्धं, महरिहं विपुलं णिक्खमणाभिसेयं उवट्ठवेह । तएणं ते कोडुंबियपुरिसा तहेव जाव पञ्चप्पिणंति । तएणं तं जमालिं खत्तियकुमारं अम्मा-पियरो सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहं णिसीयावेंति, णिसीयावेत्ता अट्ठसएणं सोवण्णियाणं कलसाणं, एवं जहा रायप्पसेणइज्जे, जाव अट्ठसएणं भोमेज्जाणं कलसाणं सविड्ढिए
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