________________
भगवती मूत्र-श. ९, उ. ३३ जमाती चरित्र
१७२३
कुल-वंससंताणतंतुवद्धणप्पगम्भवयभाविणीओ, मणाणुकूल-हियइच्छियाओ, अट्ठ तुझ गुणवल्लहाओ, उत्तमाओ, णिच्चं भावागुरत्तसव्वंगसुंदरीओ भारियाओ; तं भुंजाहि ताव जाया ! एयाहिं सदिधं विउले माणुस्सए कामभोगे, तो पच्छा भुत्तभोगी, विसयविगयवोच्छिण्णकोउहल्ले अम्हेहिं कालगएहिं जाव पव्वइहिसि ।
___ कठिन-शब्दार्थ-विपुलकुलबालियाओ-विशाल कुल की वालाएँ, सरिसियाओ-समान : हैं, सरित्तयाओ-समान त्वचा वाली, सरिव्वयाओ-समानवयवाली, आणिएल्लियाओ-लाई हुई, सव्वकाललालिय-सुहोचियाओ-सभी काल में ललित एवं सुखप्रद, णिउणविणओवयारपंडिय-निपुण विनयोपचार में पंडिता, वियक्खणा-विचक्षणा (चतुर), मंजुल-मिय-महुरभणिय-सुन्दर मित एवं मधुर भाषण, विहसिय विपेक्खियगइ-विलास-चिट्ठियविसारया-हास्य, कटाक्ष, गति, विलास एवं स्थिति में विशारद, अविकलकुल-सीलसालिणी-उत्तम कुल और शील से सुशोभित, संताणतंतुबद्धणप्पगब्भवयमाविणी-सन्तान तंतु की वृद्धि करने में समर्थ यौवन वाली है, हियइच्छियाओ-हृदय में चाहने योग्य, गुणवल्लहा-गुणवल्लभा, विसयविगयवोच्छिण्णकोउहल्ले-विषयेच्छा एवं उत्सुकता नष्ट होने पर।
भावार्य-१७-तब जमालीकुमार के माता-पिता ने उससे इस प्रकार कहा-'हे पुत्र ! ये तेरे आठ स्त्रियाँ हैं । वे विशाल कुल में उत्पन्न और तरुण , अवस्था को प्राप्त है, वे समान त्वचावाली, समान उम्रवाली, समान रूप, लावण्य और यौवन गुण से युक्त हैं, वे समान कुल से लाई हुई हैं, वे कला में कुशल, सर्वकाललालिस और सुख के योग्य हैं। वे मार्दव गुण से युक्त, निपुण, विनयोपचार में पण्डिता और विचक्षणा है । सुन्दर, मित और मधुर बोलने वाली हैं। हास्य, विप्रेक्षित (कटाक्ष दृष्टि), गति, विलास और स्थिति में विशारद हैं। वे उत्तम कुल और शील से सुशोभित हैं । विशुद्ध कुलरूप वंश तन्तु की वृद्धि, करने में समर्थ यौवनवाली हैं। मन के अनुकूल और हृदय को इष्ट हैं और गुणों के द्वारा प्रिय और उत्तम हैं। वे तुम्न में सदा अनुरक्त और सर्वांग सुन्दर है।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org