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भगवती मूटा-म. ९ उ. ३३ जमाली चरित्र
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नाम, गोत्र के श्रवण मात्र से भी महाफल होता है, इत्यादि औपपातिक सूत्र के अनुसार वर्णन जानना चाहिये, यावत् वह जन-समूह एक दिशा की ओर जाता है और क्षत्रियकुंड ग्राम नामक नगर के मध्य में होता हुआ, बाहर निकलता है
और वहुशालक उदयान में आता है । इसका सारा वर्णन औपपातिक सूत्र के अनुसार जानना चाहिये, यावत् वह जन-समूह तीन प्रकार की पर्युपासना करता है।
तएणं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स तं महया जणसदं वा जाव जणसण्णिवायं वा सुणमाणस्स वा पासमाणस्स वा अयं एयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-"किं णं अज्ज खत्तियकुंडग्गामे णयरे इंदमहे इ वा, खंदमहे इ वा, मुगुंदमहे इ वा, णागमहे इ वा, जखमहे इ वा, भूयमहे इ वा,कूवमहे इ वा, तडागमहे इ वा, णई. महे इ.बा, दहमहे इ वा, पव्वयमहे इ वा, रुक्खमहे इ वा, इयमहे इ वा, थूभमहे इ वा, जण्णं एए बहवे उग्गा, भोगा, राइण्णा, इक्खागा, णाया, कोरव्वा, खत्तिया, खत्तियपुत्ता, भडा, भडपुत्ता, जहा उववाइए, जाव सत्थवाहप्पभिइओ बहाया, कयवलिकम्मा जहा उववाइए, जाव णिग्गच्छंति” एवं संपेहेइ, एवं संपेहित्ता कंचुइजपुरिसं सद्दावेइ, कं० सद्दावित्ता एवं वयासी-किं णं देवाणुप्पिया ! अज खत्तियकुंडग्गामे णयरे इंदमहे इ वा, जाव णिग्गच्छंति ? तएणं से कंचुइजपुरिसे जमालिणा खत्तियकुमारेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ट-तुट्टे
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