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भगवती सूत्र-पा. उ. ३२ सान्तरादि उत्पाद और उद्वर्तन
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णो असओ णेरड्या उववजंति; जाव सओ वेमाणिया चयंति, णो असओ वेमाणिया चयंति ।
उत्तर-से णूणं गंगेया ! पासेणं अरहया पुरिसादाणीएणं सासए लोए बुइए अणाईए अणवयग्गे, जहा पंचमसए, जाव 'जे लोक्कड़ से लोए,' से तेणटेणं गंगेया ! एवं वुन्चइ-जाव सओ वेमाणिया चयंति, णो असओ वेमाणिया चयंति । ___ कठिन शब्दार्थ-सओ-मत् (विद्यमान), सासए-शाश्वत, बुइए-कहा है, अणवयग्गेअनन्त (अन्त रहित) ।
___ भावार्थ-४४ प्रश्न-हे भगवन् ! सत् (विद्यमान) नैरयिक उत्पन्न होते है, या असत् (अविद्यमान) नैरयिक उत्पन्न होते हैं ?
४४ उत्तर-हे गांगेय ! सत् नैरयिक उत्पन्न होते हैं, असत् नैरयिक उत्पन्न नहीं होते । इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त जानना चाहिये।
४५ प्रश्न-हे भगवन् ! सत् नैरयिक उद्वर्तते हैं, या असत् नैरयिक ?
४५ उत्तर-हे गांगेय ! सत् नैरयिक उद्वर्तते हैं, असत् नैरयिक नहीं उद्वर्तते । इसी प्रकार यावत् वैमानिक पर्यन्त जानना चाहिये, परन्तु इतनी विशेषता है कि 'ज्योतिषी और वैमानिक देव चवते हैं'-ऐसा कहना चाहिए।
४६ प्रश्न-हे भगवन् ! नरयिक जीव, सत् नैरयिकों में उत्पन्न होते हैं, या असत् नरयिकों में । असुरकुमार देव, सत् असुरकुमार देवों में उत्पन्न होते हैं, या असत् असुरकुमार देवों में, इसी प्रकार यावत् सत् वैमानिकों में उत्पन्न होते हैं, या असत् वैमानिकों में । सत् नरयिकों में से उद्वर्तते हैं, या असत् नैरयिकों में से । सत् असुरकुमारों में से उद्वर्तते हैं, या असत् असुरकुमारों में से। इसी प्रकार यावत् सत् वैमानिकों में से चवते हैं, या असत् वैमानिकों में से ?
४६ उतर-हे गांगेय ! नैरयिक जीव, सत् नैरयिकों में उत्पन्न होते हैं, परन्तु असत् नैरयिकों में उत्पन्न नहीं होते । सत् असुरकुमारों में उत्पन्न होते हैं,
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