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________________ १६८० - भगवती–श. ९ उ. ३२ सान्तरादि उत्पाद और उद्वर्तन ४४ उत्तर-गंगेया ! सओ णेरड्या उववजंति, णो असओ णेरइया उववजंति; एवं जाव वेमाणिया । ___४५ प्रश्न-सओ भंते ! गेरइया उव्वद्वृति, असओ णेरड्या उबटुंति ? ४५ उत्तर-गंगेया ! सओ णेरड्या उब्वटुंति, णो असओ णेरइया उबटुंति; एवं जाव वेमाणिया, णवरं जोइसिय-वेमाणिएसु चयंति भाणियव्वं । ४६ प्रश्न-सओ भंते ! णेरड्या उववजंति, असओ भंते ! णेरइया उववज्जति; सओ असुरकुमारा उववजंति, जाव सओ वेमाणिया उववजंति, असओ वेमाणिया उववजंति । सओ गेरइया उव्व. टुंति, असओ गेरइया उव्वटुंति; सओ अमुरकुमारा उब्वटुंति, जाव. सओ वेमाणिया चयंति, असओ वेमाणिया चयंति ? ४६ उत्तर-गंगेया ! सओ णेरड्या उववजंति, णो असओ णेरइया उववजंति; सओ असुरकुमारा उववजति, णो असओ अमुरकुमारा उववजंति, जाव सओ बेमाणिया उववजंति, णो अमओ वेमाणिया उववजति, सओ णेरड्या उब्वटुंति, णो असओ णेरइया उबटुंति; जाव सओ वेमाणिया चयंति, णो असओ वेमा. णिया चयति । प्रश्न-से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सओ णेरड्या उववजंति, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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