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________________ भगवती सूत्र - ७ उ. भरत में दुषम-दुषमा काल दुव्विसहा, वाउला, भयंकरा, वाया संवद्रुगा य वाहिंति; इह अभिनव धूनाहिंति य दिना समंता रओसला, रेणुकलुसतम पडलणिरालोगा; समयलुम्वयाए य णं अहियं चंदा सीयं मोच्छंति, अहियं सूरिया तवइस्मंति; अदुत्तरं च णं अभिक्खणं बहवे अरसमेहा, विरसमेहा, खारमेहा, खत्तमेहा, (खट्टमेहा) अग्गिमेहा, विज्जुमेहा, सिमेहा, असणिमेहा; अपिवणिज्जोदगा [अजवणिजोदया] वाहि-रोग-वेदणोदीरणा परिणामसलिला, अमणुष्णपाणियगा, चंडाणिलवहयतिक्वधाराणिवायपरं वासं वासिहिंति, जे णं भारहे वासे गामाऽऽगस्-नयर खेड- कबड-मडंब - दोणमुह-पट्टणाऽऽसमयं जणवयं चउप्पय गवेलए, खहयरे य पक्खिसंधे, गामा-रण्ण पयारणिरए तसे य पाणे, हुप्पगारे रुक्ख गुच्छ गुम्म-लय- वल्लि-तणपव्वग - हरिओमहि पवालंकुरमादीए य तण वणस्सइकाइए विदुधंसेहिंति, पव्वय- गिरि- डोंगर - उत्थल- भट्टिमादीए य वेयड्ढगिरिवजे विरावेहिंति, सलिलविल-गड्ड- दुग्गविसमणिष्णुष्णया च गंगासिंधुवज्जा समीकरेहिंति । " १८ प्रश्न - तीसे णं समाए भारहवासस्स भूमीए केरिसए आयारभाव पडोयारे भविस्सह ? १८ उत्तर - गोयमा ! भूमी भविस्सर इंगालब्भूया, मुम्मुरब्भया, छारियभूया, तत्तकवेल्लयब्भूया, तत्तसमजोइभूया, धूलिबहुला, रेणु Jain Education International For Personal & Private Use Only " 7 ११५९ www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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