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। भगवती सूत्र-श. ७ उ. ६ साता-असाता वेदनीय
आदि के बाँधा हुआ था । कर्कश-वेदनीय को बांधने का कारण प्राणातिपातादि अठारह पापस्थान सेवन है और इन अठारह पापस्थानों का त्याग करने से अकर्कश-वेदनीय कर्म का बंध होता है। नरकादि जीवों में प्राणातिपात आदि पाप स्थानों का विरमण नहीं, इसलिये वे अकर्कश-वेदनीय कर्म का बन्ध नहीं कर सकते ।
साता-असाता वेदनीय १३ प्रश्न-अस्थि णं भंते ! जीवाणं सायावेयणिजा कम्मा कजति ?
१३ उत्तर-हंता, अस्थि । .१४ प्रश्न-कहं णं भंते ! जीवाणं सायावेयणिज्जा कम्मा कजति ?
- १४ उत्तर-गोयमा ! पाणाणुकंपयाए, भूयाणुकंपयाए, जीवाणुकंपयाए, सत्ताणुकंपयाए; बहूणं पाणाणं, जाव सत्ताणं अदुक्खणयाए, असोयणयाए, अजूरणयाए, अतिप्पणयाए, अपिट्टणयाए, अपरियावणयाए; एवं खलु गोयमा ! जीवाणं सायावेयणिजा कम्मा कजंति; एवं णेरइयाण वि, एवं जाव वेमाणियाणं । ____१५ प्रश्न-अस्थि णं भंते ! जीवाणं असायावेयणिज्जा कम्मा कजंति ?
१५ उत्तर-हंता, अस्थि । १६ प्रश्न-कहं णं भंते ! जीवाणं असायावेयणिजा कम्मा
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