SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 481
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती सूत्र - श. ८ उ. १० आराधकों के शेष भव ७ प्रश्न - हे भगवन् ! जिसके उत्कृष्ट दर्शन आराधना होती है, उसके उत्कृष्ट चारित्र आराधना होती है और जिसके उत्कृष्ट चारित्र आराधना होती है, उसके उत्कृष्ट दर्शन आराधना होती है ? ७ उत्तर - हे गौतम! जिसके उत्कृष्ट दर्शन आराधना होती है, उसके उत्कृष्ट या जन्य या मध्यम चारित्र आराधना होती है और जिसके उत्कृष्ट चारित्र आराधना होती है, उसके नियमा ( अवश्य ) उत्कृष्ट दर्शन आराधना होती है । आराधकों के शेष भव १५४४ ८ प्रश्न - उक्कोसियं णं भंते ! णाणाराहणं आराहंत्ता कहहिं भवग्गणेहिं सिज्झइ जाव अंतं करेइ ? ८ उत्तर - गोयमा ! अत्थेगडए तेणेव भवग्ग्रहणेणं सिज्झइ, जाव अंतं करेह; अत्थेगड़ए दोच्चणं भवग्गहणेणं सिज्झह, जाव अंत करेइ; अत्येगइए कप्पोवएस वा कप्पाईएस वा उववज्जइ । ९ प्रश्न - उबको सियं णं भंते ! दंसणाराहणं आराहेत्ता कड़ हिं भवग्गहणेहिं० ? ९ उत्तर - एवं चैव । १० प्रश्न - उक्कोसियं णं भंते ! चरिताराहणं आराहेत्ता० ? १० उत्तर - एवं चेव, णवरं अत्थेगइए कप्पाईएस उववज्जड़ । ११ प्रश्न - मज्झमियं णं भंते ! णाणाराहणं आराहेत्ता कहहिं भवग्गहणेहिं सिज्झइ, जाव अंत करेइ ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy