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________________ १५३४ भगवती सूत्र-श. ८ उ. ५ शरीर बंध का पारस्परिक सम्बन्ध .. का बन्धक है या अबन्धक ? ... १०६ उत्तर-हे गौतम ! पूर्व कथनानुसार जानना चाहिये । इसी प्रकार आहारक-शरीर के विषय में भी जानना चाहिये । १०७ प्रश्न-हे भगवन् ! तंजस्-शरीर का बंधक जीव, कार्मण-शरीर का बंधक है या अबंधक ? १०७ उत्तर-हे गौतम ! वह बंधक है, अबंधक नहीं। १०८ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वह कार्मण शरीर का बंधक है, तो देश- . बंधक है या सर्व-बन्धक ? १०८ उत्तर-हे गौतम ! वह देश-बन्धक है, सर्व-बन्धक नहीं। १०९ प्रश्न-हे भगवन् ! कार्मण-शरीर का देश-बन्धक जीव, औदारिक शरीर का बन्धक है या अबन्धक ? . १०९ उत्तर-हे गौतम! जिस प्रकार तेजस-शरीर का कथन किया है, उसी प्रकार कार्मण-शरीर का भी कहना चाहिये यावत् वह तेजस शरीर का देश-बन्धक है, सर्व-बन्धक नहीं। विवेचन-औदारिक और वैक्रिय, इन दोनों शरीरों का एक साथ बंध नहीं होता, इसी प्रकार औदारिक और आहारक, इन दोनों शरीरों का भी एक साथ बंध नहीं होता। इसलिये औदारिक-शरीर-बंधक जीव, वैक्रिय और आहारक का अबंधक होता है । औदारिक-शरीर के साथ तेजस् और कार्मण का विरह कभी नहीं होता । इसलिय वह इनका देश-बंधक होता है । इन दोनों शरीरों का सर्वबंध तो होता. ही नहीं.। तेजस्-शरीर का देश-बंधक जीव, औदारिक शरीर का बंधक भी होता है और अबंधक भी । इसका तात्पर्य यह है कि विग्रह-गति में वह अबंधक होता है तथा वैक्रिय में हो या आहारक में हो तब भी वह औदारिक का अबंधक ही रहता है और शेष समय में बंधक होता है । उत्पत्ति के प्रथम समय में सर्व-बंधक होता है और द्वितीय आदि समयों में देश-बंधक होता है। इसी प्रकार कार्मण-शरीर का भी समझना चाहिये। . शेष. शरीरों के साथ बंधक, अबंधक आदि का कथन सुगम है, उसे स्वयं घटित कर लेना चाहिये। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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