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________________ भगवती मूत्र-. ८ 3. ९ बंधकों का अल्पबहत्व बंधकों का अल्पबहुत्व ११० प्रश्न-एएसि णं भंते । तव्वजीवाणं ओरालिय-वेउव्वियआहारग-तेया-कम्मासरीरगाणं देसबंधगाणं सव्वबंधगाणं अबंधगाण य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेमाहिया वा ? ११० उत्तर-गोयमा ! मबत्थोवा जीवा आहारगसरीस्स सव्वबंधगा, तस्स चेव देसबंधगा मखेजगुणा । वेउब्वियसरीरस्स सव्वबन्धगा असंखेजगुणा, तस्स चेव देसवन्धगा असंखेजगुणा । तेया-कम्मगाणं अबन्धगा अणंतगुणा दोण्ह वि तुल्ला । ओरालियसरीरस्स सव्ववन्धगा अणंतगुणा, तस्स चेव अबन्धगा विसेसाहिया, तस्स चेव देसवन्धगा असंखेजगुणा । तेया-कम्मगाणं देसबन्धगा विसेसाहिया, वेउब्बियसरीरस्स अवन्धगा विसेसाहिया, आहारगमरीरस्म अबन्धगा विमेसाहिया। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ अठ्ठमसए नवमो उद्देसो समत्तो ॥ • कठिन शब्दार्थ-दोह-दोनों का।। . भावार्थ-११० प्रश्न-हे भगवन् ! औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तेजस् और कार्मण शरीर के देशबन्धक, सर्वबन्धक और अबन्धक-इन सब जीवों में कौन किससे कम, अधिक, तुल्य या विशेषाधिक है ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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