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भगवती सूत्र-श. ८ उ. ५ कार्मण शरीर प्रयोग बन्ध
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भावार्थ-८० प्रश्न-हे भगवन् ! नरकायष्य कार्मण-शरीर-प्रयोग-बंध किस कर्म के उदय से होता है ? .
८. उत्तर-हे गौतम! महारम्भ से, महापरिग्रह से, मांसाहार करने से, पंचेन्द्रिय जीवों का वध करने से और नरकायुष्य कार्मण शरीर-प्रयोग नाम-कर्म के उदय से नरकायष्य कार्मण-शरीर प्रयोग-बंध होता है।
८१ प्रश्न-हे भगवन ! तियंचयोनिक-आयुष्य कार्मण-शरीर प्रयोग-बंध किस कर्म के उदय से होता है ? .
८१ उत्तर-हे गौतम ! माया करने से, गढ माया करने से, झूठ बोलने से, खोटा तोल खोटा माप करने से और तियंच-योनिक आयुष्य कार्मण-शरीर प्रयोगनाम कर्म उदय से तियंचयोनिक आयुष्य कार्मण-शरीर प्रयोगबन्ध होता है ।
८२ प्रश्न-हे भगवन् ! मनुष्यायुष्य कार्मण-शरीर प्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता है ?
८२ उत्तर-हे गौतम ! प्रकृति की भद्रता से, प्रकृति की विनीतता से, दयालुता से, अमत्सरभाव से और मनुष्यायष्य कार्मणशरीर प्रयोग नामकर्म के उदय से मनुष्यायुष्य कार्मणशरीर प्रयोगबन्ध होता है।
.८३ प्रश्न-हे भगवन् ! देव आयुष्य कार्मणशरीर प्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता है ? - ८३ उत्तर-हे गौतम ! सरागसंयम से, संयमासंयम (देश विरति) से, अज्ञान तप करने से, अकामनिर्जरा से और देवायुष्य कार्मण शरीर-प्रयोग नामकर्म के उदय से देवायुष्य कार्मण शरीर प्रयोगबन्ध होता है।
८४ प्रश्न-सुभणामकम्मासरीर-पुच्छा ? ... ८४ उत्तर-गोयमा काउज्जुययाए, भावुज्जुययाए, भासुज्जुययाए, अविसंवायणजोगेणं सुभणामकम्मासरीर० जाव पओगबंधे ।
८५ प्रश्न-असुभणामकम्मासरीर-पुच्छ ?
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