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भगवती मूत्र-श. ८ उ. ९ कार्मण शरीर प्रयोग बंध
८० प्रश्न-णेरइयाउयकम्मासरीर-पुच्छा।
८० उत्तर-गोयमा ! महारंभयाए, महापरिग्गयाए, कुणिमाहारेणं, पंचिंदियवहेणं णेरड्याउयकम्मासरीरप्पओगणामाए कम्मस्स उदएणं णेरइयाउयकम्मासरीर० जाव पओगवन्धे ।
८१ प्रश्न-तिरिक्खजोणियाउयकम्मासरीर-पुच्छा।
८१ उत्तर-गोयमा ! माइल्लयाए, णियडिल्लयाए, अलियवयणेणं कूडतुल-कूडमाणेणं तिरिक्खजोणियाउयकम्मा० जाव पओगबन्धे। . .
८२ प्रश्न-मणुस्साउयकम्मासरीर-पुच्छा।
८२ उत्तर-गोयमा ! पगइभद्दयाए, पगइविणीययाए, साणुको. सणयाए, अमच्छरियाए मणुस्साउयकम्मा० जाव पओगबन्धे ।
८३ प्रश्न-देवाउयकम्मासरीर-पुच्छा। .
८३ उत्तर-गोयमा ! सरागसंजमेणं, मंजमासंजमेणं, बालतवोकम्मेणं, अकामणिजराए देवाउयकम्मासरीर० जाव पओगबन्धे ।
कठिन शब्दार्थ-कुणिमाहारेणं-कुणिम अर्थात् मांस खाने से, माइल्लयाए-माया करने से, णियडिल्लयाए-गूढ़ माया (कपट) करने से, अलियवयणेणं-झूठ बोलने से, कडतुलकुडमाणेणं-खोटे तोल-नाप करने से, पगहभद्दयाए-प्रकृति की भद्रता से, पगइविणीययाए-स्वभाव से विनीत होने से, साणक्कोसणयाए-दयालता से, अमच्छरियाए-मारमर्य रहित होने से, संजमासंजमेणं-श्रावक व्रत का पालन करने से, अकामणिज्जराए-मिथ्यात्व युक्त निर्जरा से, बालतवोकम्मेणं-अज्ञान तप-कर्म से ।
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