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भगवती सूत्र-श. ८ उ. ९ कामण शरीर प्रयोग बंध
८५ उत्तर-गोयमा ! कायअणुज्जुययाए, जाव' विसंवायणा: जोगेणं असुभणामकम्मासरीर० जाव पओगबन्धे ।
कठिन शब्दार्थ-काउज्जयाए-काया (शरीर) को मरलता से, कायअणुज्जुययाएकाया की वक्रता से।
भावार्थ-८४ प्रश्न-हे भगवन् ! शुभनाम कार्मण शरीर प्रयोग-बंध किस . कर्म के उदय से होता है ?
८४ उत्तर-हे गौतम ! काया को सरलता से, भाव को सरलता से, भाषा को सरलता से और अविसंवादन योग से तथा शुभनाम कामण-शरीरप्रयोग नामकर्म के उदय से शुभनाम कार्मण-शरीर प्रयोग बंध होता है।
८५ प्रश्न-हे भगवन् ! अशुभ नाम कार्मण शरीर प्रयोग-बन्ध किस कर्म के उदय से होता है ?
८५ उत्तर-हे गौतम ! काया की वक्रता से, भाव की वक्रता से, भाषा की वक्रता से, विसंवादन योग से और अशुभनाम कार्मण शरीर-प्रयोग नामकर्म . के उदय से अशुभनाम कार्मण शरीर प्रयोग-बंध होता है।
८६ प्रश्न-उच्चागोयकम्मासरीर-पुच्छा ?
८६ उत्तर-गोयमा ! जाइअमएणं, कुलअमएणं, बलअमएणं, रूवअमएणं, तवअमएणं, सुयअमएणं, लाभअमएणं, इस्सरियअमएणं, उच्चागोयकम्मासरीर० जाव पओगबंधे ।
८७ प्रश्न–णीयागोयकम्मासरीर-पुच्छ ।
८७ उत्तर-गोयमा ! जाइमएणं, कुलमएणं, बलमएणं जाव इस्सरियमएणं, णीयागोयकम्मासरीर० जाव पओगबन्धे ।
____ कठिन शब्दार्थ-जाइअमएण-जानि का मद नहीं करने से, इस्सरियअमएण-ऐश्वर्य का मद नहीं करने से।
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