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भगवती सूत्र-श. ८ उ. ९ प्रयोग बंध .
गुंजालिका, सरोवर, सरोवरों की पंक्ति, बडे सरोवरों की पंक्ति, बिलों की पंक्ति, देवकुल, सभा, प्रपा (प्याऊ) स्तूप, खाई, परिखा, दुर्ग (किला), कंगरे, चरिक, द्वार, गोपुर, तोरण, प्रासाद (महल), घर, शरणस्थान, लेण (घरविशेष), दूकान, शृंगाटकाकार मार्ग, त्रिक मार्ग, चतुष्क मार्ग, चत्वर मार्ग, चतुर्मुख मार्ग और राजमार्गादि का चूना, मिट्टी और वज्र-लेपादि के द्वारा समुच्चय रूप से जो बंध होता है, उसे 'समुच्चय बंध' कहते हैं । उसको स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट संख्येय काल की है । इस प्रकार यह समुच्चय बंध कहा गया है।
. १६ प्रश्न-से किं तं साहणणाबंधे ? - १६ उत्तर-साहणणाबंधे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-देससाहणणाबंधे य, सम्बसाहणणाबंधे य।
कठिन शब्दार्थ-साहणणा-संहनन । भावार्थ-१६ प्रश्न-हे भगवन् ! संहनन बंध किसे कहते हैं ?
१६ उत्तर-हे गौतम ! संहनन बध दो प्रकार का कहा गया है। यथादेश संहनन बंध और सर्व संहनन बंध ।
· १७ प्रश्न-से किं तं देससाहणणाबंधे ? . १७ उत्तर-देससाहणणाबंधे जं णं सगड-रह-जाण-जुग्गगिल्लि-थिल्लि-सीय-संदमाणी-लोही-लोहकडाह-कडुच्छय-आसणसयणखंभ-भंडमत्तोवगरणमाईणं देससाहणणाबंधे समुप्पजइ, जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेनं कालं । सेत्तं देससाहणणाबंधे । - भावार्थ-१७ प्रश्न-हे भगवन् ! देश संहनन बंध किसे कहते हैं ? - १७ उत्तर-हे गौतम ! गाडी, रथ, यान (छोटी गाडी) युग्यवाहन (दो
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