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भगवती सूत्र-श. ८ उ. ६ प्रयोग बध
कचरे का ढेर। ____ भावार्थ-१४ प्रश्न-हे भगवन् ! उच्चय बंध किसे कहते हैं ?
१४ उत्तर-हे गौतम ! तृण राशि, काष्ठ राशि, पत्र राशि, तुष राशि, भूसे का ढेर, उपलों (छाणों) का ढेर और कचरे का ढेर, इन सभी का ऊंचे ढेर रूप से जो बंध होता है, उसको 'उच्चय बंध' कहते हैं। वह जघन्य अन्तर्मुहर्त और उत्कृष्ट संख्येय काल तक रहता है। इस प्रकार उच्चय बंध कहा गया है।
१५ प्रश्न-से किं तं समुच्चयबंधे ? . .
१५ उत्तर-समुच्चयबंधे ज णं अगड-तडाग-णई-दह-वावी. पुक्खरिणी-दीहियाणं गुंजालियाणं, सराणं, सरपंतियाणं सरसरपंतियाणं, बिलपंतियाणं, देवकुल-सभ-प्पव-थूम-खाइयाणं, परिहाणं, पागार-ट्टालग-चरिय-दार गोपुर-तोरणाणं, पासाय-घर-सरण-लेण-आवणाणं,सिंघाडग-तिय-चउक-चच्चर-चउमुह महापहमाईणं, छुहा-चिवखल्लसिलेससमुच्चएणं बंधे समुप्पज्जइ, जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेनं कालं । सेत्तं समुच्चयबंधे।
__ कठिन शब्दार्थ-अगड-कुआँ, तडाग-तालाब, दह-द्रह, वावी-वापी (बावड़ी) पुक्खरिणी-पुष्करिणी (कमलों से युक्त बावड़ी), दीहियाणं-दीपिका, सराणं-सरोवर का, देवकुलमंदिरों, पव-प्याऊ, थूम-स्तूप, परिहा-परिखा, पागार-किला (कोट), अट्टालग-गढ़ या किले पर का कमरा या कंगूरे, चरिय-गढ़ और नगर के मध्य का मार्ग, दार-दरवाजे, गोपुरनगर द्वार या किले का फाटक, लेण-घर, आवणा-दुकान, सिंघाडग-शृंगाटकाकार मार्ग, महापह-महापथ (राजमार्ग)।
भावार्थ-१५ प्रश्न-हे भगवन् ! समुच्चय बंध किसे कहते हैं ? १५ उत्तर-हे गौतम ! कुआं, तालाब, नदी, ब्रह, वापी, पुष्करिणी, दीपिका
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