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________________ भगवती सूत्र श. ८ उ. ९ प्रयोग बंध १३ प्रश्न - से किं तं लेसणाबंधे ? १३ उत्तर - लेसणावंधे जं णं कुट्टाणं, कुट्टिमाणं, खंभाणं, पासायाणं, कट्टा, चम्माणं, घडाणं, पडाणं, कडाणं छुहा चिवखल्लसिलेस-लक्ख-महुसित्थमाई एहिं लेसणएहिं बंधे समुप्पज्जह, जहणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेज कालं । सेत्तं लेसणाबंधे । कठिन शब्दार्थ - कुट्ट - शिखर, कुट्टिमा – आँगन की फरसी, खंभाणं--स्तंभ का, पासायाणं प्रासाद (महल) का, कट्ठाणं- लकड़ी का, चम्माणं- चमड़े का पडाणं - कपड़े का कडा-चटाइयों का, छुहा-चूना, चिक्खल्ल-कचरा या कीचड़, सिलेस - श्लेष ( चिकनाई ) मे, लक्ख - लाख, महसित्यसाई - मधुसिक्थ आदि ( मोम आदि चिकने द्रव्यों से ) । भावार्थ--१३ प्रश्न---हे भगवन् ! श्लेषणा बंध किसे कहते हैं ? १३ उत्तर - हे गौतम ! शिखर, कुट्टिम ( फर्श ), स्तम्भ, प्रासाद, काष्ठ, चर्म, घड़ा, कपड़ा, चटाई आदि का चूना, मिट्टी, कर्दम (कीचड़ ) श्लेष ( वज्र लेप), लाख, मोम इत्यादि श्लेषण द्रव्यों द्वारा मो बन्ध होता है, वह 'श्लेषणा बन्ध' कहलाता है । यह जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट संख्यात काल तक रहता है । यह श्लेषणा बंध कहा गया है। Jain Education International १४७७ १४ प्रश्न - से किं तं उच्चयबंधे ? १४ उत्तर - उच्चयबंधे जं णं तणरासीण वा, कट्टरासीण वा, पत्तरासीण वा, तुसरासीण वा, भुसरासीण वा, गोमयरासीण वा, अवगररासीण वा उच्चत्तेणं बंधे समुप्पज्जइ, जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं संखेज कालं, सेत्तं उच्चयबंधे । कठिन शब्दार्थ - गोमयरासी - गोबर का ढेर, (कंडों का ढेर ) अवगररासी For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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