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भगवती सूत्र - श. ८ उ ९ प्रयोग बध
११ प्रश्न - से किं तं आलावणबंधे ?
११ उत्तर - आलावणबंधे जं णं तणभाराण वा, कटुभाराण वा, पत्तभाराण वा, पलालभाराण वा, वेल्लभाराण वा, वेत्तलया-वागंवरत-रज्जु- वल्लि कुस दव्भमाईएहिं आलावणबंधे समुप्पज्जइ; जहणेणं अतोमुहुत्तं, उक्को सेणं संखेज्जं कालं, सेत्तं आलावणबंधे ।
कठिन शब्दार्थ - कटुभाराण-काष्ठ का भार, वेल्लभाराण - लताओं का भार, वेतलया - बेंत की लता ।
भावार्थ- - ११ प्रश्न - हे भगवन् ! आलापन बन्ध किसे कहते हैं ?
११ उत्तर - हे गौतम! घास के भार, लकडी के भार, पत्तों के भार, पलाल के भार और बेल के भार, इन भारों को बेंत की लता, छाल, वरत्रा (मोटी रस्सी), रज्जु ( रस्सी), बेल, कुश और डाभ आदि से बांधना - 'आलापन बन्ध' कहलाता है । यह जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट संख्यात काल तक रहता है । यह आलापन बन्ध कहा गया है ।
१२ प्रश्न - से किं तं अल्लियावणबंधे ?
१२ उत्तर - अल्लियावणबंधे चउब्विहे पण्णत्ते, तं जहा - लेसणाबंधे, उच्चयबंधे, समुच्चयबंधे, साहणणाबंधे ।
भावार्थ - १२ प्रश्न - हे भगवन् ! आलीन बंध किसे कहते हैं ?
१२ उत्तर - हे गौतम! आलीन बन्ध चार प्रकार का कहा गया है ।
यथा - १ श्लेषणा बंध, २ उच्चय बंध, ३ समुच्चय बंध और ४ संहनन बंध ।
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