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भगवती सूत्र-ग. ८ उ. ८ कर्म-प्रकृति और परीषह
शंका-निषद्या के समान शय्या परीषह भी चर्या परीषह का विरोधी है, क्योंकि शय्या और चर्या-ये दोनों एक समय में संभवित नहीं है । इसलिये एक समय में उत्कृष्ट • उन्नीस परोषह ही हो सकते हैं, फिर यहाँ बीस कैसे बतलाये हैं• ?
____समाधान-उपर्युक्त शंका का समाधान यह है कि कोई मुनि विहार करते हुए किसी ग्राम में पहुंचे । वहाँ स्वल्प काल के लिये विश्राम और आहारादि के लिये ठहरने पर भी उत्सुकता के कारण, विहार के परिणाम निवृत्त नहीं हुए, (विहार करने की उत्सुकता एवं चंचलता चित्त में बनी हुई है। इस कारण चर्या परीषह और शय्या परीषंह दोनों अविरुद्ध हैं । तात्पर्य यह है कि अभी चर्या की आकुलता समाप्त नहीं होने के कारण स्वल्प काल के लिये स्थान में ठहरने पर भी एक साथ दोनों परीषहों को वेदते हैं।
___शंका-यदि इस प्रकार शय्या और चर्या परीषह में युगपत् अविरुद्धता बतलाई जा रही है, तो पड़-विध बन्धक की अपेक्षा-जो आगे कहा गया है कि-'जिस समय वह चर्या परीपह वेदता है, उस समय शय्या परीषह नहीं वेदता और जिस समय शय्या परीषह वेदता है, उस समय चर्या परीषह नहीं वेदता'-यह कैसे संभव होगा? .
समाधान-षड्-विध बन्धक जीव मोहनीय कर्म के असद्भाव तुल्य होता है । इसलिये उसमें उत्सुकता और चञ्चलता का अभाव है। इसलिये शय्या के समय में उनका चित्त शय्या में ही रहता है, चर्या में नहीं । इस अपेक्षा मे उस समय शय्या और चर्याइन दोनों परीषहों में परस्पर विरोध है । इसलिये दोनों का युगपत् (एक साथ) असद्भाव है । आयु कर्म और मोहनीय कर्म को छोड़कर शेष छह कर्मों के बन्धक सरागी छद्मस्थ (दसवें गुणस्थानवर्ती) जीव के तथा केवल एक वेदनीय कर्म के बन्धक छद्मस्थ वीतरागी (ग्यारहवें बारहवें गुणस्थानवर्ती) जीव के चौदह परीषह (बाईस परीषहों में से मोहनीय कर्म के आठ परी ग्रहों को छोड़कर) होते है, किन्तु एक साथ वारह परीषह वेदते हैं, अर्थात् शीत और उष्ण में से एक तथा चर्या और शय्या में से एक वेदते हैं । तेरहवें गुणस्थानवर्ती एक कर्म के बन्धक जीव के और चौदहवें गुणस्थानवर्ती अवन्धक जीव के वेदनीय के ग्यारह परीपह होते हैं। उनमें से एक साथ नौ वेदते हैं अर्थात् शीत और उप्ण में से एक तथा चर्या और शय्या में से एक वेदते हैं।
. शंका-दसवें गुणस्थानवर्ती सराग छदस्थ जीव के चौदह परीषह बतलाये गये हैं। और मोहनीयकर्म के उदय से होने वाले आठ परीषहों का अभाव बतलाया गया है, इसमें
पंच-संग्रह' में १९ बतलाये है-डोशी ।
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