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भगवती सूत्र-श. ८ उ. ८ ऐपिथिक और साम्परायिक बन्ध
भी बांधता है, अथवा बहुत स्त्रियां भी बांधती है, बहुत पुरुष भी बांधते हैं और बहुत नपुंसक भी बांधते हैं । अथवा ये सब और अवेदी एक जीव भी बांधता है अथवा ये सब और अवेदी बहुत जीव भी बांधते हैं।
१८ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वेद रहित एक जीव और वेद रहित बहुत जीव, साम्परायिककर्म बांधते हैं, तो क्या स्त्री-पश्चात्कृत जीव बांधता है, पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधता है, इत्यादि प्रश्न ?
१८ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार ऐर्यापथिक कर्मबन्ध के विषय में छब्बीस भंग कहे हैं, उसी प्रकार यहां भी कहना चाहिये । यावत् 'बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव, बहुत पुरुष-पश्चात्कृत जीव और बहुत नपुंसक-पश्चात्कृत जीव बांधते हैं,-यहां तक कहता चाहिये। .... १९ प्रश्न-हे भगवन् ! १ क्या जीव ने साम्परायिक कर्म बांधा, बांधता है और बांधेगा? २ बांधा, बांधता है और नहीं बांधेगा ? ३ बांधा, नहीं बांधता है और बांधेगा और ४ बांधा, नहीं बांधता है और नहीं बांधेगा? . १९ उत्तर-हे गौतम ! १ कितने ही जीवों ने बांधा है, बांधते हैं और बांधेगे, २ कितने ही जीवों ने बांधा है, बांधते हैं और नहीं बांधेगे, ३ कितने ही जीवों ने बांधा है, नहीं बांधरहे और बांधेगे, ४ कितने ही जीवों ने बांधा है, नहीं बांधरहे. और नहीं बांधेगे। ___२० प्रश्न-हे भगवन् ! साम्परायिक कर्म सादि-सपर्यवसित बांधते हैं ? इत्यादि प्रश्न ।
२० उत्तर-हे गौतम ! सादि-सपर्यवसित बांधते हैं, अनादि-सपर्यवसित बांधते हैं, अनादि-अपर्यवसित बांधते हैं, परन्तु सादि-अपर्यवसित नहीं बांधते।
२१ प्रश्न-हे भगवन् ! साम्परायिक कर्म, देश से आत्म-देश को बांधते हैं ? इत्यादि प्रश्न ?
२१ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार ऐर्यापथिक कर्म के सम्बन्ध में कहा गया है, उसी प्रकार साम्परायिक कर्म के विषय में भी जान लेना चाहिये।
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