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________________ १४४२ भगवती सूत्र - श. ८ उ ८ एर्यापथिक और साम्परायिक बन्ध नहीं बांधता, सर्व से देश को नहीं बांधता, किन्तु सर्व से सर्व को बाँधता है । १६ प्रश्न - संपराइयं णं भंते ! कम्मं किं णेरहओ बंधह, तिरिक्खजोणिओ बंधइ, जाव देवी बंधइ ? १६ उत्तर - गोयमा ! रइओ वि बंधह, तिरिक्खजोणिओ वि बंध, तिरिक्खजोणिणी व बंधइ, मणुस्सो वि बंधइ, मणुरसी वि बंध, देवो विबंध, देवी विबंध | १७ प्रश्न - तं भंते! किं इत्थी बंधर, पुरिसो बंध; तहेव जाव णोइत्थी णोपुरिसो गोणपुंसगो बंधइ ? १७ उत्तर - गोयमा ! इत्थी वि बंधइ, पुरिसो वि बंधइ, जाव पुंगा वि बंधंति, अहवेए य अवगयवेओ य बंधड़, अहवेए य अवयवेया य बन्धति । १० प्रश्न - जइ भंते! अवगयवेओ य बंधइ अवगयवेया य बंधंति तं भंते! किं इत्थीपच्छाकडो बंधह, पुरिसपच्छाकडो बंधइ० ? १८ उत्तर - एवं जहेव इरियावहियाबंधगस्स तहेव णिरवसेसं, जाव अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य णपुंसगपच्छाकडा य बंधति । १९ प्रश्न- तं भंते ! किं १ बंधी बंधइ बंधिस्सइ, २ बंधी बंध ण बंधिस्सर, ३ बंधी ण वंध बंधिस्सइ, ४ बन्धी ण बन्धड़ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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