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भगवती सूत्र - श. ८ उ. ८ ऐर्यापथिक और साम्परायिक वन्ध
पुञ्च - अपेक्षा, साइयं सपज्जवसियं आदि और अंत सहित साइयं अपज्जबसियं आदि सहित अंत रहित, अणाइयं सपज्जवसियं आदि रहित और अंत सहित, अणाइयं अपज्ज. वसिय आदि और अंत रहित ।
भावार्थ - १३ प्रश्न - हे भगवन् ! ( १ ) क्या जीव ने ऐर्याथिक कर्म ध, बाँधता है और बाँधेगा, (२) बांधा, बाँधना है, नहीं बाँधेगा, (३) बाँधा, नहीं बाँधता है, बाँधेगा, (४) बाँधा, नहीं बाँधता है, नहीं बाँधे गा, (५) नहीं बांधा, बाँधता है, बांधेगा, (६) नहीं बाँधा, बाँधता है, नहीं बांधेगा और (७) नहीं बांधा नहीं बाँधता है, नहीं बाँधेगा ?
१३ उत्तर - हे गौतम ! भवाकर्ष की अपेक्षा किसी एक जीव ने बाँधा, NET है और बाँधेगा। किसी एक जीव ने बाँधा, बांधता है, नहीं बांधेगा । यावत् किसी एक जीव ने नहीं बांधा, नहीं बांधता है, नहीं बांधेगा । इस प्रकार उपरोक्त आठों भंग यहां कहना चाहिये । ग्रहणाकर्ष की अपेक्षा किसी एक जीव
बांधा, बांधता है, बांधेगा । यावत् किसी एक जीव ने नहीं बांधा, बांधता है, बांधेगा । किन्तु यहां छठा भंग (नहीं बांधा, बांधता है, नहीं बांधेगा ।) नहीं कहना चाहिये । किसी एक जीव ने नहीं बांधा, नहीं बांधता है, बांधेगा । किसी एक जीव ने नहीं बांधा, नहीं बांधता है और नहीं बांधेगा ।
१४ प्रश्न - हे भगवन् ! जीव ऐर्यापथिक कर्म क्या सादि सपर्यवसित बांधता है, या सादि - अपर्यवसित बांधता है, या अनादि सपर्यवसित बांधता है, या अनादि - अपर्यवसित बांधता है ?
१४ उत्तर - हे गौतम ! सादि सपर्यवसित बांधता है, किन्तु सादि- अपर्यवसित नहीं बांधता, अनादि - सपर्यवसित नहीं बांधता और अनादि - अपर्यवसित भी नहीं बांधता ।
- १४ प्रश्न - हे भगवन् ! जीव ऐर्यापथिक कर्म देश से आत्मा के देश को बांधता है, देश से सर्व को बांधता है, सर्व से देश को बांधता है, या सर्व से सर्व को बांधता है ?
१५ उत्तर - हे गौतम ! देश से देश को नहीं बांधता, देश से सर्व को
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