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________________ १४३२ भयवती सूत्र-श. ८ उ. ८ व्यवहार के भेद . व्यवहार के भेद ७ प्रश्न-कइविहे णं भंते ! ववहारे पण्णते ? ७ उत्तर-गोयमा ! पंचविहे ववहारे पण्णत्ते, तं जहा-आगमे, सुयं, आणा, धारणा, जीए । जहा से तत्य आगमे सिया आगमेणं ववहार पट्टवेजा; णो य से तत्य आगम मिया, जहा मे तत्थ सुए सिया, सुएणं ववहारं पट्टवेजा णो य मे नत्य मुए सिया, जहा मे तत्थ आणा सिया, आणाए ववहारं पट्टवेबा; णो य से तत्थ आणा सिया, जहा से तत्थ धारणा मिया, धारणाए ववहार पट्टवेजा; णो य से तत्थ धारणा सिया; जहा से तत्य जीए मिया, जीएणं ववहारं पट्टवेजा, इच्चेएहिं पंचहिं ववहार पट्टवेबा; जहा-आगमणं, मुएणं आणाए, धारणाए, जीएणं; जहा जहा मे आगमे सुए आणा धारणा जीए तहा तहा ववहार पट्टवेजा। ८ प्रश्न-से किमाहु भंते ! आगमवलिया समणा णिग्गंथा ? ८ उत्तर-इच्चेयं पंचविहं ववहारं जया जया जहिं जहिं तया तया तहिं तहिं अणिस्सिओवसियं सम्मं ववहरमाणे समणे णिग्गंथे आणाए आराहए भवइ। कठिन शम्दार्थ-बहारे-व्यवहार(प्रवृत्ति), पटुवेज्जा-प्रवृत्ति करे, आगमबलियाविशेप बलवान जानी (आगम के बल बारे) इएहि-इस प्रकार, जया जया-जब जव, जहि जहि-जहाँ जहाँ, तया तया तहिं ताहि-तब तब वहाँ वहाँ, अनिस्सिमोवसियं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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