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________________ १४०८ भगवती सूत्र-श. ८ उ. ६ क्रिया + किरिए ? ___ १९ उत्तर-एवं चेव, एवं जाव वेमाणिए, णवरं मणुस्से जहा जीवे । ___२० प्रश्न-जीवे णं भंते ! ओरालियसरीरेहितो कइकिरिए ? २० उत्तर-गोयमा ! सिय तिकिरिए, जाव सिय अकिरिए । २१ प्रश्न-णेरइए णं भंते ! ओरालियसरीरोहितो कइकिरिए ? २१ उत्तर-एवं एसो जहा पढमो दंडओ तहा इमो वि अपरिसेसो भाणियबो जाव वेमाणिए, णवरं मणुस्से जहा जीवे । । कठिन शब्दार्थ--अपरिसेसो--अपरिशेष (सम्पूर्ण) । भावार्थ-१७ प्रश्न-हे भगवन् ! एक जीव, एक औदारिक शरीर की अपेक्षा कितनी क्रिया वाला होता है ? १७ उत्तर-हे गौतम ! कदाचित् तीन क्रिया वाला, कदाचित् चार क्रिया वाला और कदाचित् पांच क्रिया वाला होता है । तथा कदाचित् अक्रिय (क्रिया रहित) भी होता है। १८ प्रश्न-हे भगवन् ! एक नरयिक जीव, दूसरे के एक औदारिक शरीर की अपेक्षा कितनी क्रिया वाला होता है ? १८ उत्तर-हे गौतम ! कदाचित् तीन क्रिया वाला, कदाचित् चार क्रिया वाला और कदाचित् पांच क्रिया वाला होता है। १९ प्रश्न-हे भगवन् ! एक असुरकुमार दूसरे के एक औदारिक शरीर की अपेक्षा कितनी क्रिया वाला होता है ? १९ उत्तर-हे गौतम ! पूर्व कथितानुसार कदाचित् तीन क्रिया काला, कदाचित् चार क्रिया वाला और कदाचित् पांच क्रिया वाला होता है । इसी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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