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भगवती सूत्र-ग. ८ उ. ५ श्रावक व्रत के भंग
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जब द्विविध द्विविधं प्रतिक्रमण करता है, तब-११ स्वयं करता नहीं, दूसरों से करवाता नहीं-मन और वचन से । १२ अथवा स्वयं करता नहीं, दूसरों से करवाता नहीं-मन और काया से । १३ अथवा-स्वयं करता नहीं, दूसरों से करवाता नहीं-वचन और काया से । १४ अथवा स्वयं करता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं-मन और वचन से। १५ अथवा-स्वयं करता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं-मन और काया से। १६ अथवा-स्वयं करता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहींवचन और काया से । १७ अथवा दूसरों से करवाता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं-मन और वचन से । १८ अथवा-दूसरों से करवाता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं-मन और काया से । १९ अथवादूसरों से करवाता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं-वचन और काया से । ___ जब द्विविध एकविध प्रतिक्रमण करता है, तब २० स्वयं करता नहीं, दूसरों से करवाता नहीं-मन से । २१ अथवा स्वयं करता नहीं, दूसरों से करवाता नहीं-वचन से । २२ अथवा--स्वयं करता नहीं, दूसरों से करवाता नहीं--काया से । २३ अथवा-स्वयं करता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं-मन से । २४ अथवा-स्वयं करता नहीं, करते हुए का अनु. मोदन करता नहीं-बचन से । २५ अथवा स्वयं करता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं-काया से । २६ अथवा दूसरों से करवाता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं-मन से । २७ अथवा दूसरों से करवाता नहीं करते हुए का अनुमोदन करता नहीं-वचन से । २८ अथवा दूसरों से करवाता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं-काया से ।
जब एकविध त्रिविध प्रतिक्रमण करता है, तब २९ स्वयं करता नहीं--मन, वचन और काया से। ३० अथवा दूसरों से करवाता नहीं मन, वचन और काया से । ३१ अथवा करते हुए का अनुमोदन करता नहीं मन, वचन
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