________________
भगवती सूत्र--श. ८ उ. ५ आट पध्वियों का उल्लेख
१३७१
आठ पृथ्वियों का उल्लेख ८ प्रश्न-कह णं भंते ! पुढवीओ पण्णताओ ?
८ उत्तर-गोयमा ! अट्ट पुढवीओ पण्णताओ, तं जहा-यणप्पभा, जाव अहे सत्तमा, इसीपन्भारा ।
९ प्रश्न-इमा णं भंते ! रयणप्पभापुढवी किं चरिमा अचरिमा ? . ९ उत्तर-चरिमपदं निरवसेसं भाणियव्वं । जाव वेमाणिया गं भंते ! फासचरिमेणं किं चरिमा, अचरिमा ? गोयमा ! चरिमा वि अचरिमा वि। .
मेवं भंते ! सेवं भंते ! ति*
॥ अट्टमसए तइओ उद्देसो समत्तो ॥ कठिन शब्दार्थ-धरिम-अंतिम, फासचरिमेणं-स्पर्श चरम द्वारा, अपरिम-मध्यवर्ती। .. भावार्य-८.प्रश्न-हे भगवन् ! पश्वियां कितनी कही गई हैं ?
• ८ उत्तर-हे गौतम ! पृथ्वियां आठ कही गई हैं। यथा-रत्नप्रभा, यावत् अधः सप्तम पृथ्वी और ईषत्प्राग्भारा (सिद्ध शिला)।
प्रश्न-हे भगवन् ! यह रत्नप्रभा पृथ्वी क्या चरम (अन्तिम) है, या अचरम (मध्यवर्ती) है? ..
९ उत्तर-यहाँ प्रज्ञापना सूत्र का चरम नामक दसवा पद कहना चाहिये। यावत्-हे भगवन् ! वैमानिक स्पर्श चरम द्वारा क्या चरम है, या अचरम है ? हे गौतम ! वे चरम भी है और अबरम भी है।
हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org