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________________ १३२८ भगवती सूत्र--श. ८ उ. २ ज्ञान दर्शनादि लब्धि ७६ प्रश्न - हे भगवन् ! केवलज्ञान - लब्धि रहित जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ? ७६ उत्तर - हे गौतम! वे ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी । उनमें केवलज्ञान के सिवाय चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से पाये जाते हैं । २७७ प्रश्न - हे भगवन् ! अज्ञानलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ? २०७७ उत्तर- हे गौतम! वे ज्ञानी नहीं, अज्ञानी हैं । उनमें तीन अज्ञान भजना से पाये जाते हैं । / ७८ प्रश्न - हे भगवन् ! अज्ञान-लब्धि रहित जोव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ? - ७८ उत्तर- हे गौतम! वे ज्ञानी हैं, अज्ञानी नहीं। उनमें पांच ज्ञान भजना से पाये जाते हैं । जिस प्रकार अज्ञान-लब्धि वाले और अज्ञान-लब्धि रहित जीवों का कथन किया है, उसी प्रकार मतिज्ञान, श्रुतज्ञान लब्धि वाले तथा इन लब्धि से रहित जीवों का कथन करना चाहिये । अर्थात् सूत्र ७७ में कथित अज्ञान-लब्धि वाले जीवों की तरह मतिअज्ञान और श्रुतअज्ञान लब्धि वाले जीवों का कथन करना चाहिये । और सूत्र ७८ में कथित अज्ञान -लब्धि रहित जीवों की तरह मतिअज्ञान लब्धि रहित और श्रुतअज्ञान लब्धि रहित जीवों का कथन करना चाहिये । विभंगज्ञान लब्धि वाले जीवों में नियम से तीन अज्ञान होते हैं और विभंगज्ञान लब्धि रहित जीवों में पांच ज्ञान भजना से और दो अज्ञान नियमा पाये जाते हैं । ७९ प्रश्न - दंसणलद्धिया णं भंते! जीवा किं णाणी, अण्णाणी ? ७९ उत्तर -गोयमा ! णाणी वि, अण्णाणी वि; पंच णाणाई तिण्णि अण्णाणाई भयणाए । ८० प्रश्न - तस्स अलडिया णं भंते ! जीवा किं णाणी, अण्णाणी ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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