________________
भगवती सूत्र-ग. ८ उ. २ जान दर्शनादि लब्धि
१३२६
८० उत्तर-गोयमा ! तस्म अलद्धिया णस्थि । सम्मादसणलद्धियाणं पंच णाणाई भयणाए । तम्स अलदियाणं तिण्णि अण्णाणाई भयणाए।
८१ प्रश्न-मिच्छादसणलद्धीया णं भंते ! पुच्छा। ___८१ उत्तर-तिण्णि अण्णाणाई भंयणाए । तस्स अलद्धीयाणं पंच णाणाई, तिण्णि य अण्णाणाई भयणाए । सम्मामिच्छादसणलद्धिया, अलद्धिया य जहा मिच्छदंसणलवीया अलद्धीया तहेव भाणियवा। __ भावार्थ-७९ प्रश्न-हे भगवन् ! दर्शन लब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ?
७९ उत्तर-हे गौतम ! वे ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी । जो ज्ञानी हैं, वे भजना से पांच ज्ञान वाले हैं और जो अज्ञानी हैं वे भजना से तीन अज्ञान वाले हैं।
८० प्रश्न-हे भगवन् ! दर्शनलब्धि रहित जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ?
८० उत्तर-हे गौतम ! दर्शनलब्धि रहित कोई भी जीव नहीं होता । सम्यग्दर्शन-लब्धि वाले जीवों में पांच ज्ञान भजना से होते हैं। सम्यग्दर्शन-लब्धि रहित जीवों में तीन अज्ञान भजना से होते हैं । . ८१ प्रश्न-हे भगवन् ! मिथ्यादर्शन-लब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी?
८१ उत्तर-हे गौतम ! वे ज्ञानी नहीं, अज्ञानी होते हैं। उनमें तीन अज्ञान भजना से पाये जाते हैं । मिथ्यादर्शन-लब्धि रहित जीवों में पांच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । सम्यमिथ्यादर्शन लब्धि (मिश्रदृष्टि) वाले जीवों का कथन मिथ्यादर्शन लन्धि वाले जीवों के समान जानना चाहिये और सम्यगमिथ्यादर्शन लब्धि रहित जीवों का कथन मिथ्यादर्शन लब्धि रहित जीवों की तरह जानना चाहिये ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org