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भगवती सूत्र - श. ८ उ. २ ज्ञान दर्शनादि लब्धि
६१ प्रश्न - अण्णाणली णं भंते ! कइविहा पण्णत्ता ? ६१ उत्तर - गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा मइअण्णाणलद्धी, सुयअण्णाणलद्वी, विभंगणाणलद्वी ।
कठिन शब्दार्थ-लद्धी - लब्धि- प्राप्ति ।
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भावार्थ - ५९ प्रश्न - हे भगवन् ! लब्धि कितने प्रकार की कही गई है ? ५९ उत्तर- हे गौतम ! दस प्रकार की कही गई है । यथा-१ ज्ञानलब्धि, २ दर्शनलब्धि, ३ चारित्रलब्धि, ४ चारित्राचारित्रलब्धि, ५ दानलब्धि, ६ लाभलब्धि, ७ भोगलब्धि, ८ उपभोगलब्धि, ९ वीर्यलब्धि और १० इन्द्रियलब्धि |
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६० प्रश्न - हे भगवन् ! ज्ञान-लब्धि कितने प्रकार की कही गई है ? ६० उत्तर - हे गौतम ! ज्ञानलब्धि पाँच प्रकार की कही गई है । यथाआभिनिबोधिकज्ञान लब्धि यावत् केवलज्ञान लब्धि ।
६१ प्रश्न - हे भगवन् ! अज्ञान-लब्धि कितने प्रकार की कही गई है ?
६१ उत्तर - हे गौतम! अज्ञान-लब्धि तीन प्रकार की कही गई है । यथा - मतिअज्ञान लब्धि, श्रुतअज्ञान लब्धि और विभंगज्ञान लब्धि ।
६२ प्रश्न - दंसणद्धी णं भंते ! कइविहा पण्णत्ता ? ६२ उत्तर - गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा सम्मदंसणलदी, मिच्छादंसणलद्धी, सम्मामिच्छादंसणलद्वी ।
भावार्थ - ६२ प्रश्न - हे भगवन् ! दर्शन- लब्धि, कितने प्रकार की कही
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गई है ?
६२ उत्तर-हे गौतम ! दर्शन-लब्धि तीन प्रकार की कही गई है। यथा-. १ सम्यग्दर्शन लब्धि, २ मिथ्यादर्शन लब्धि और ३ सम्यग्मिथ्यादर्शन लब्धि ।
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