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भगवती सूत्र - . ८. उ. २ ज्ञान दर्शनादि लब्धि
६३ प्रश्न - चरित्तलद्धी णं भंते! कइविहा पण्णत्ता ?
६३ उत्तर - गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा - सामाइयचरित्त लद्धी, छेओवट्ठावणियचरित्तद्वी, परिहारविसुद्धिचरित्तलद्धी, सुहुमसंपरायचरित्तलद्धी, अहक्खायचरित्तलद्धी ।
कठिन शब्दार्थ - अहरवायचरितलद्वी - यथाख्यात चारित्र लब्धि. । भावार्थ - ६३ प्रश्न - हे भगवन् ! चारित्र-लब्धि कितने प्रकार की कही
गई है। ६३ उत्तर - हे गौतम ! चारित्र-लब्धि पांच प्रकार की कही गई है । यथा - १ सामायिक चारित्र लब्धि, २ छेदोपस्थापनीय चारित्र-लब्धि ३ परिहारविशुद्धि चारित्र लब्धि ४ सूक्ष्म सम्पराय चारित्र-लब्धि और ५ यथाख्यात चारित्र-लब्धि |
६४ प्रश्न - चरित्ताचरित्तलद्धी णं भंते! कइविहा पण्णत्ता । ६४ उत्तर - गोयमा ! एगागारा पण्णत्ता, एवं जाव उवभोगली एगागारा पण्णत्ता ।
कठिन शब्दार्थ –एगागारा - एक प्रकार की ।
भावार्थ -- ६४ प्रश्न - - हे भगवन् ! चारित्राचारित्र लब्धि कितने प्रकार की कही गई हैं ?
६४ उत्तर - हे गौतम ! वह एक ही प्रकार की कही गई है । इसी प्रकार दानलब्धि, लाभलब्धि, भोगलब्धि और उपभोगलब्धि, ये सब एक एक प्रकार की कही गई है ।
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६५ प्रश्न - वीरियलद्धी णं भंते ! कइविहा पण्णत्ता ? ६५ उत्तर - गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा - बालवी रियलद्धी,
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