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• भगवती सूत्र -श ८ उ. २ ज्ञान अज्ञान की भजना के बीस द्वार
४६ उत्तर - हे गौतम! इनके तीन ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । ४७ प्रश्न - हे भगवन् ! अपर्याप्त नैरयिक ज्ञानी हैं, या अज्ञानी हैं ? ४७ उत्तर - हे गौतम! इनमें तीन ज्ञान नियम से और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । इसी प्रकार यावत् स्तनित कुमार देवों तक जानना चाहिये । अपर्याप्त पृथ्वीकायिक यावत् वनस्पतिकायिक तक के जीवों का कथन एकेन्द्रिय (सू. ३६) जीवों के समान जानना चाहिये ।
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४८ प्रश्न - बेइंदियाणं पुच्छा ।
४८ उत्तर - दो णाणा, दो अण्णाणा णियमा । एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं ।
४९ प्रश्न - अपज्जत्तगा णं भंते ! मणुरता किं णाणी, अण्णाणी ?
४९ उत्तर - तिष्णि णाणाई भयणाए, दो अण्णाणाई णियमा । वाणमंतरा जहा णेरइया । अपजत्तगाणं जोइसिय- वेमाणियाणं तिष्णि णाणा, तिष्णि अण्णाणा णियमा ।
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५० प्रश्न - गोपजत्तगा णोअपज्जत्तगा भंते! जीवा किं णाणी० ? ५० उत्तर - जहा सिद्धा ।
भावार्थ - ४८ प्रश्न - हे भगवन् ! अपर्याप्त बेइन्द्रिय जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ?
४८ उत्तर - हे गौतम! इन्हें दो ज्ञान या दो अज्ञान नियमा होते है । इसी प्रकार यावत् पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक तक जानना चाहिये । ४९ प्रश्न - हे भगवन् ! अपर्याप्त मनुष्य ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ?
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