SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 248
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती सूत्र-श. ८ उ. २ ज्ञान अज्ञान की भजना के बीस द्वार १६११ ४२ प्रश्न-णोसुहमा णोवायरा णं भंते ! जीवा० ? ४२ उत्तर-जहा सिद्धा। कठिन शब्दार्थ-णोसुहमा णोबायरा-जो न तो सूक्ष्म हैं और न बादर हैं (सिद्ध) । भावार्थ-४० प्रश्न-हे भगवन् ! सूक्ष्म जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ? ४० उत्तर-हे गौतम ! इनका कथन पथ्वीकायिक जीवों के समान जानना चाहिये। ४१ प्रश्न-है भगवन् ! बादर जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ? ४१ उत्तर-हे गौतम ! इनका कथन सकायिक जीवों के समान जानना चाहिये। ४२ प्रश्न-हे भगवन् ! नोसूक्षन नोबादर जीव, ज्ञानी है, या अज्ञानी ? ४२ उत्तर-हे गौतम । इनका कथन सिद्ध जीवों की तरह जानना चाहिये। ४३ प्रश्न-पजत्ता णं भंते ! जीवा किं णाणी ? ४३ उत्तर-जहा सकाइया । ४४ प्रश्न-पजत्ता णं भंते ! णेरड्या किं णाणी ? ४४ उत्तर-तिण्णि णाणा, तिण्णि अण्णाणा णियमा, जहा रइआ, एवं जाव थणियकुमारा । पुढविकाइया जहा एगिदिया । एवं जाव चउरिदिया । ४५ प्रश्न-पजत्ता णं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया किं णाणी अण्णाणी ? ४५ उत्तर-तिण्णि णाणा, तिण्णि अण्णाणा भयणाए। मणुस्सा For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy