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भगवती सूत्र-श. ८ उ. २ ज्ञान अज्ञान को भजना. के बीस द्वार
या अज्ञानी हैं ? ..३५ उत्तर-हे गौतम ! उनको भजना से चार ज्ञान और तीन अज्ञान होते हैं।
३६ प्रश्न-हे भगवन् ! एकेन्द्रिय जीव, ज्ञानी हैं, या अज्ञानी हैं ?
.३६ उत्तर-हे गौतम ! एकेन्द्रिय जीवों का कथन (सत्ताईसवें सूत्र में कथित) पृथ्वीकायिक जीवों की तरह कहना चाहिये । बेइंद्रिय, तेइन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों में नियमा दो ज्ञान या दो अज्ञान होते हैं । पञ्चेन्द्रिय जीवों का कथन सइन्द्रिय जीवों की तरह जानना चाहिये ।
३७ प्रश्न-हे भगवन् ! अनिन्द्रिय (इन्द्रिय रहित) जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी हैं ?
३७ उत्तर-हे गौतम ! उनका कथन सिद्ध जीवों (३० वें सूत्र) की तरह जानना चाहिये।
३८ प्रश्न-हे भगवन् ! सकायिक जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी हैं ?
३८ उत्तर-हे गौतम ! सकायिक जीवों को पांच ज्ञान' और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। पृथ्वीकायिक यावत् वनस्पतिकायिक जीव ज्ञानी नहीं, अज्ञानी होते हैं। वे नियना दो अज्ञान (मति-अज्ञान और श्रुतअज्ञान) वाले हैं। सकाधिक जीवों का कयन सकायिक जीवों की तरह जानना चाहिये।
३९ प्रश्न-हे भगवन् ! अकायिक (काया रहित) जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी हैं ? ३९ उत्तर-हे गौतम ! इनका कथन सिद्धों की तरह जानना चाहिये ? ४० प्रश्न-सुहमा णं भंते ! जीवा किं णाणी ? ४० उत्तर-जहा पुढविक्काइया । ४१ प्रश्न-बायरा णं भंते ! जीवा किं णाणी०? .. ४१ उत्तर-जहा सकाइया ।
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