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भगवती सूत्र-श. ८ उ. २ ज्ञान के भेद
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के आकार), वर्षधर संस्थित (क्षेत्र की मर्यादा करने वाले पर्वतों के आकार), सामान्य पर्वताकार, वृक्ष के आकार, स्तूप के आकार, घोडे के आकार, हाथी के आकार, मनुष्य के आकार, किन्नर के आकार, किम्पुरुष के आकार, महोरग के आकार, गन्धर्व के आकार, वृषभ (बैल) के आकार, पशु के आकार, पशय अर्थात् दो खुर वाले एक प्रकार के जंगली जानवर के आकार, विहग अर्थात् पक्षी के आकार और वानर के आकार, इस प्रकार विभंगज्ञान, नाना संस्थान संस्थित कहा गया है।
२४ प्रश्न-जीवाणं भंते ! किं पाणी अण्णाणी ?
२४ उत्तर-गोयमा ! जीवा गाणी वि अण्णाणी वि; जे णाणी ते अत्थेगइया दुण्णाणी अत्थेगइया तिण्णाणी, अत्थेगइया चउणाणी, अत्थेगइया एगणाणी । जे दुण्णाणी ते आभिणिबोहियणाणी य सुयणाणी य । जे तिण्णाणी ते आणिबोहियणाणी, सुयणाणी, ओहिणाणी: अहवा आभिणिबोहियणाणी, सुयणाणी,मणपजवणाणी। जे चउणाणी ते आभिणिबोहियणाणी, सुयणाणी, ओहिणाणी, मणपज्जवणाणी, जे एगणाणी ते णियमा केवलणाणी। जे अण्णाणी ते अत्थेगइया दुअण्णाणी, अत्थेगइया तिअण्णाणी । जे दुअण्णाणी ते मइअण्णाणी सुयअण्णाणी य । जे तिअण्णाणी ते मइअण्णाणी, सुयअण्णाणी विभंगणाणी।
कठिन शब्दार्थ-- अत्यंगइया-कुछ लोग (कितने ही)। भावार्थ-२४ प्रश्न-हे भगवन् ! जीव ज्ञानी है, या अज्ञानी है ? २४ उत्तर-हे गौतम ! जीव ज्ञानी भी है और अज्ञानी भी है । जो जीव
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