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भगवती सूत्र - श. ८ उ. २ आशीविष
कम्मासीविसे ?
१५ उत्तर - गोयमा ! णो पज्जत्तसोहम्मकप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे, अपज्जतसोहम्मकप्पोवगवेमाणियदे व कम्मासीविसे, एवं जाव णो पज्जत्तसहस्सारकप्पोवगवेमाणिय जाव कम्मासीविसे, अपज्जतसहस्सारकप्पोवग जाव कग्मासीविसे ।
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भावार्थ - १३ प्रश्न - हे भगवन् ! यदि वैमानिक देव कर्म-आशीविष हैं, तो कल्पोपपन्नक वैमानिक देव कर्म-आशीविष हैं, या कल्पातीत वैमानिक देव कर्मआशीविष हैं ?
१३ उत्तर - हे गौतम ! कल्पोपपत्रक वैमानिक देव कर्म- आशीविष हैं । परन्तु कल्पातीत वैमानिक देव कर्म-आशीविष नहीं हैं ।
१४ प्रश्न - हे भगवन् ! यदि कल्पोपपत्रक वैमानिक देव कर्म-आशीविष हैं, तो क्या सौधर्म- कल्पोपपत्रक वैमानिक देव कर्म- आशीविष हैं, अथवा यावत् अच्युत - कल्पोपपन्नक वैमानिक देव कर्म-आशीविष हैं ?
१४ उत्तर - हे गौतम! सौधर्म - कल्पोपपन्नक वैमानिक देव यावत् सहस्रारredtures वैमानिक देव कर्म आशीविष हैं । परन्तु आणत, प्राणत, आरण और अच्युत कल्पोपपन्नक वैमानिक देव, कर्म-आशीविष नहीं हैं ।
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१५ प्रश्न - हे भगवन् ! यदि सौधर्म कल्पोपपत्रक वैमानिक देव कर्मआशीविष हैं, तो तो क्या पर्याप्त सौधर्म- कल्पोपन्नक वैमानिक देव कर्म-आशीविष हैं, अथवा अपर्याप्त सौधर्म - कल्पोपपन्नक वैमानिक देव कर्म आशीविष हैं ?
.१५ उत्तर - हे गौतम ! पर्याप्त सौधर्म- कल्पोपपत्रक देव कर्म-आशीविष नहीं, परन्तु अपर्याप्त सौधर्म कल्पोपपन्नक वैमानिक देव कर्म आशीविष हैं । इस प्रकार यावत् पर्याप्त सहस्रार-कल्पोपन्नक वैमानिक देव कर्म आशीविष नहीं । परन्तु अपर्याप्त सहस्रार कल्पोपपक वैमानिक देव कर्म-आशीविष हैं ।
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