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भगवती
सूत्र - -श. ८ उ. २ आशीविष
विष हैं, अथवा अपर्याप्त असुरकुमारादि भवनवासी देव कर्म आशीविष है? ११ उत्तर - हे गौतम ! पर्याप्त असुरकुमार भवनवासी देव कर्म- आशीविष नहीं, परन्तु अपर्याप्त असुरकुमार भवनवासी देव कर्म- आशीविष हैं । इस प्रकार यावत् स्तनितकुमारों तक जानना चाहिये ।
१२ प्रश्न - हे भगवन् ! यदि वाणव्यन्तर देव कर्म आशीविष हैं, तो क्या पिशाच वाणव्यन्तर देव कर्म-आशीविष हैं इत्यादि प्रश्न ?
१२ उत्तर - हे गौतम ! वे सभी अपर्याप्त अवस्था में कर्म - आशीविष हैं । इस प्रकार सभी ज्योतिषी देव भी अपर्याप्त अवस्था में कर्म-आशीविष हैं ।
१३ प्रश्न - जइ वेमाणियदेवकम्मासीविसे किं कप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे, कप्पाईयवेमाणियदेवकम्मासीविसे ?
१३ उत्तर - गोयमा ! कप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे, णो कप्पामाणि देवकम्मासीविसे ।
१४ प्रश्न - जइ कप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे किं सोहम्मकप्पोवग जाव कम्मासीविसे, जाव अच्चुयकप्पोवग जाव कम्मा - सीविसे ?
१४ उत्तर - गोयमा ! सोहम्म कप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे
वि, जाव सहस्सारकप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे वि णो आणय
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कपोवग, जाव णो अच्चुयकष्पोव गरेमा णिय देवकम्मासीविसे ।
१५ प्रश्न - जइ सोहम्मकप्पोवग जाव कम्मासीविसे किं पज्जतसोहम्मक पोवगवेमाणिय, अपज्जत्त-सोहम्म कप्पोवग- वेमाणियदेव
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