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________________ 'भगवती सूत्र - श. ८ उ. २ आशीविष ७ उत्तर - एवं जहा वेउव्वियसरीरस्स भेओ, जाव पज्जत्तसंखेजवासाउयगन्भवक्कंतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे, णो अप ज्जत संखेजवा साउय - जाव कम्मासीविसे । ८ प्रश्न - जइ मणुस्सकम्मासीविसे किं संमुच्छिममणुस्तकम्मासीविसे, गन्भवक्कंतियमणुस्सकम्मासीविसे ? ८ उत्तर - गोयमा ! णो संमुच्छिममणुस्तकम्मासीविसे, गव्भवक्कं तियमणुस्मकम्मासीविसे, एवं जहा वेउव्वियसरीरं, जाव पजत्तसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भववकंतियमणुस्सकम्मा सी विसे, णो अपज्जत्त जाव कम्मासीविसे । १२९१ ५ प्रश्न - हे भगवन् ! यदि कर्म- आशीविष है, तो क्या नैरयिक कर्मआशीविष है, या तियंच-योनिक कर्म - आशीविष है, या मनुष्य कर्म - आशीविष है, या देव कर्म- आशीविष है ? ५ उत्तर - हे गौतम! नैरयिक कर्म आशीविष नहीं, किन्तु तिथंच योनिक कर्म अशीविष है, मनुष्य कर्म-आशीविष हे और देव कर्म - आशीविष है । ६ प्रश्न - हे भगवन् ! यदि तियंचयोनिक कर्म-आशीविष है, तो क्या एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक कर्म आशीविष है, अथवा यावत् पंचेंन्द्रिय तिर्यंच योनिक कर्म - आशीविष है ? ६ उत्तर - हे गौतम! एकेन्द्रिय, बेइंद्रिय, तेइन्द्रिय और चउरिन्द्रिय तियंचयोनिक कर्म - आशीविष नहीं, परन्तु पंचेंद्रिय तियंचयोनिक कर्म-आशीविष है । ७ प्रश्न - हे भगवन् ! यदि पंचेंद्रिय तिर्यंचयोनिक कर्म - आशीविष हैं, तो क्या सम्मूच्छिम पंचेंद्रिय तियंचयोनिक कर्म आशीविष है, या गर्भज पंचेंद्रिय Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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