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________________ १२८२ भगवती सूत्र--श.८ उ. १ तीन द्रव्यों के परिणाम ओगपरिणया, कायप्पओगपरिणया ? ६५ उत्तर-गोयमा! मणप्पओगपरिणया वा, एवं एकगसंयोगो, दुयासंजोगो, तियासंजोगो भाणियन्यो । - ६६ प्रश्न-जइ मणप्पओगपरिणया कि सच्चमणप्पओगपरिणया, असच्चमणप्पओगपरिणया, सच्चामोसमणप्पओगपरिणया, असच्चामोसमणप्पओगपरिणया ? ६६ उतर-गोयमा ! सचमणप्पओगपरिणया वा, जाव असञ्चामोसमणप्पओगपरिणया वा; अहवा एगे सच्चमगप्पओगपरिणए दो मोसमणप्पओगपरिणया वा । एवं दुयासंजोगो, तियासंजोगो भाणियब्बो एत्थ वि तहेव; जाव अहवा एगे तं तसंठाणपरिणए एगे चउरंससंठाणपरिणए एगे आययसंठाणपरिणए वा । ... कठिन शब्दार्थ-दुयासंजोगो-द्विकसंयोगी। भावार्थ-६४ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या तीन द्रव्य, प्रयोग-परिणत होते हैं, मिश्र-परिणत होते हैं, या विस्रसा-परिणत होते हैं ? . ६४ उत्तर-हे गौतम ! तीनों द्रव्य प्रयोग परिणत होते हैं, या मिश्रपरिणत होते हैं, या विस्त्रसा-परिणत होते हैं । अथवा एक द्रव्य प्रयोग-परिणत होता है और दो द्रव्य मिश्र-परिणत होते हैं । अथवा एक द्रव्य प्रयोग-परिणत होता है और दो द्रव्य विस्रसा-परिणत होते हैं । अथवा दो द्रव्य प्रयोग-परिणत होते हैं और एक द्रव्य मिश्र परिणत होता है । अथवा दो द्रव्य प्रयोग-परिणत होते हैं और एक द्रव्य विस्रसा-परिणत होता है। अथवा एक द्रव्य मिश्र-परि· णत होता है और दो द्रव्य विस्त्रसा-परिणत होते हैं। अथवा दो द्रव्य मिश्र Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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