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________________ भगवती सूत्र - श. ८ उ. १ एक द्रव्य परिणाम ५१ उत्तर - हे गौतम ! जिस प्रकार प्रयोग-परिणत पुद्गल के विषय में कहा है, उसी प्रकार मिश्र परिणत पुद्गल के विषय में भी सभी कहना चाहिये, यावत् पर्याप्त सर्वार्थसिद्ध अनुत्तरौपपातिक कल्पातीत वैमानिक देव पंचेंद्रिय कार्मण शरीर काय - मिश्र-परिणत होता है, या अपर्याप्त सर्वार्थसिद्ध अनुत्तरौपपातिक कल्पातीत वैमानिक देव पंचेंद्रिय कार्मण शरीर काय-मिश्र-परिणत होता है । १२७४ ५२ प्रश्न - जइ वीससा परिणए किं वण्णपरिणए, गंधपरिणए, रसपरिणए, फासपरिणए, संठाणपरिणए ? ५२ उत्तर - गोयमा ! वष्णपरिणए वा, गंधपरिणए वा, रसपरिणए वा, फासपरिणए वा, संठाणपरिणए वा । ५३ प्रश्न - जइ वण्णपरिणए किं कालवण्णपरिणए, णील जाव सुकिल्लवण्णपरिणए ? ५३ उत्तर - गोयमा ! कालवण्णपरिणए, जाव सुकिल्लवण्णपरिणए । ५४ प्रश्न - जइ गंधपरिणए किं सुभिगंधपरिणए, दुभिगंधपरिणए ? Jain Education International ५४ उत्तर - गोयमा ! सुभिगंधपरिणए वा, दुब्भिगंधपरिणए वा । ५५ प्रश्न - जड़ रसपरिणए किं तित्तरसपरिणए - पुच्छा | ५५ उत्तर-गोयमा ! तित्तरसपरिणए वा, जाव महुररसपरिणए वा । ५६ प्रश्न - जइ फासपरिणए किं कक्खडफासपरिणए, जाव For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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