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________________ भगवती सूत्र-श. ८ उ. १ एक द्रव्य परिणाम १२७३ वीर्यशक्ति का जो व्यापार कार्मण-शरीर द्वारा होता है, वही निश्चय से (नियमा) तेजस्शरीर द्वारा भी होता रहता है । अतः कार्मण-काय-योग में ही तेजस्-काय-योग का समावेश हो जाता है । इसलिये उसको पृथक् नहीं गिना गया है। ५० प्रश्न-जइ मीसापरिणए किं मणमीसापरिणए, वयमीसापरिणए, कायमीसापरिणए ? ___५० उत्तर-गोयमा ! मणमीसापरिणए वा, वयमीसापरिणए वा, कायमीसापरिणए वा। - ५१ प्रश्न-जइ मणमीसापरिणए किं सचमणमीसापरिणए वा, मोसमणमीसापरिणए-वा? ५१ उत्तर-जहा पओगपरिणए तहा मीसापरिणए वि भाणियव्वं गिरवसेसं, जाव पजत्तसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिंदियकम्मासरीरगमीसापरिणए वा, अपजत्तसब्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव कम्मासरीरमीसापरिणए वा । भावार्थ-५० प्रश्न-हे भगवन् ! यदि एक द्रव्य मिश्र परिणत होता है, तो क्या मनोमिश्र-परिणत होता है, या वचनमिश्र-परिणत होता है, या कायमिश्र-परिणत होता है ? ५० उत्तर-हे गौतम ! वह मनोमिश्र-परिणत होता है, या वचन-मिश्रपरिणत होता है, या कायमिश्र-परिणत होता है। .५१ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि एक द्रव्य मनोमिश्र-परिणत होता है, तो क्या सत्यमनोमिश्र-परिणत होता है, मषामनोमिश्र-परिणत होता है, सत्यमृषामनोमिश्र-परिणत होता है, या असत्यामृषामनोमिश्र-परिणत होता है ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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