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भगवती सूत्र-श. ८ उ. १ एक द्रव्य परिणाम
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वीर्यशक्ति का जो व्यापार कार्मण-शरीर द्वारा होता है, वही निश्चय से (नियमा) तेजस्शरीर द्वारा भी होता रहता है । अतः कार्मण-काय-योग में ही तेजस्-काय-योग का समावेश हो जाता है । इसलिये उसको पृथक् नहीं गिना गया है।
५० प्रश्न-जइ मीसापरिणए किं मणमीसापरिणए, वयमीसापरिणए, कायमीसापरिणए ? ___५० उत्तर-गोयमा ! मणमीसापरिणए वा, वयमीसापरिणए
वा, कायमीसापरिणए वा। - ५१ प्रश्न-जइ मणमीसापरिणए किं सचमणमीसापरिणए वा, मोसमणमीसापरिणए-वा?
५१ उत्तर-जहा पओगपरिणए तहा मीसापरिणए वि भाणियव्वं गिरवसेसं, जाव पजत्तसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिंदियकम्मासरीरगमीसापरिणए वा, अपजत्तसब्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव कम्मासरीरमीसापरिणए वा ।
भावार्थ-५० प्रश्न-हे भगवन् ! यदि एक द्रव्य मिश्र परिणत होता है, तो क्या मनोमिश्र-परिणत होता है, या वचनमिश्र-परिणत होता है, या कायमिश्र-परिणत होता है ?
५० उत्तर-हे गौतम ! वह मनोमिश्र-परिणत होता है, या वचन-मिश्रपरिणत होता है, या कायमिश्र-परिणत होता है।
.५१ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि एक द्रव्य मनोमिश्र-परिणत होता है, तो क्या सत्यमनोमिश्र-परिणत होता है, मषामनोमिश्र-परिणत होता है, सत्यमृषामनोमिश्र-परिणत होता है, या असत्यामृषामनोमिश्र-परिणत होता है ?
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