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________________ - १२६४ भगवती सू-श. ८ उ. १ एक द्रव्य परिणाम ३७ उत्तर-हे गौतम ! वह सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक-शरीर काय-प्रयोग परिणत होता है । अथवा बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक. शरीर काय-प्रयोग परिणत होता है। ३८ प्रश्न-हे भगवन् ! जो एक द्रव्य सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक-शरीर काय-प्रयोग परिणत होता है, तो क्या पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेद्रिय औदारिक-शरीर काय-प्रयोग-परिणत होता है, या अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वी. कायिक एकेन्द्रिय औदारिक-शरीर काय-प्रयोग-परिणत होता है ? ३८ उत्तर-हे गौतम ! वह पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक-शरीर काय प्रयोग-परिणत होता है, या अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेंद्रिय औदारिक-शरीर काय-प्रयोग-परिणत होता है । इसी प्रकार बादर पृथ्वीकायिक के विषय में भी जानना चाहिये । इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिक तक सभी के चार चार भेद (सूक्ष्म, बादर, पर्याप्त और अपर्याप्त) के विषय में जानना चाहिये । इसी प्रकार बेइंद्रिय तेइंद्रिय और चौइंद्रिय के दो दो भेद (पर्याप्त और अपर्याप्त) के विषय में कहना चाहिये। ___३९ प्रश्न-जइ पंचिंदियओरालियसरीरकायप्पयोगपरिणए किं तिरिक्खजोणियपंचिंदियओरालियसरीरकायप्पयोगपरिणए, मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए ? . ३९ उत्तर-गोयमा ! तिरिक्खजोणिय जाव परिणए वा, मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए वा। ४० प्रश्न-जइ तिरिक्खजोणिय जाव परिणए किं जलयरतिरिक्खजोणिय जाव परिणए वा, थलयर-खहयर जाव परिणए वा? . Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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