SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 180
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती मूत्र - श. ८ उ. १ पुद्गलों का प्रयोग-परिणतादि म्वरूप १२४३ प्रकार त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गलों के विषय में भी जानना चाहिये। - १९ प्रश्न--हे भगवन् ! रत्नप्रभा पृथ्वी नैरयिक प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? १९ उत्तर-हे गौतम ! वे दो प्रकार के कहे गये हैं । यथा-पर्याप्त रत्नप्रभा पृथ्वी नैरयिक प्रयोग-परिणत और अपर्याप्त रत्नप्रभा पृथ्वी नरयिक प्रयोग-परिणत । इसी प्रकार यावत् अधः सप्तम पृथ्वी नरयिक प्रयोग-परिणत तक कहना चाहिये। २० प्रश्न-हे भगवन् ! समूच्छिम जलचर तिर्यंच-योनिक पंचेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? २० उत्तर-हे गौतम ! वे दो प्रकार के कहे गये हैं । यथा--पर्याप्त सम्मूच्छिम जलचर तिर्य चं-योनिक पंचेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल और अपर्याप्त सम्मच्छिम जलचर तिर्यंच-योनिक पंचेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल । इसी प्रकार गर्भज जलचरों के विषय में भी जानना चाहिये । इसी प्रकार सम्मच्छिम और गर्भज चतुष्पद स्थलचर जीवों के विषय में यावत् खेचर जीवों तक के विषय में भी जानना चाहिये । इन प्रत्येक के पर्याप्त और अपर्याप्त ये दो दो भेद कहने चाहिये। . २१ प्रश्न-हे भगवन् ! सम्मूच्छिम मनुष्य पंचेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? ... २१ उत्तर-हे गौतम ! वे एक प्रकार के कहे गये हैं। यथा--अपर्याप्त. सम्मच्छिम मनुष्य पंचेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल । २२ प्रश्न- हे भगवन् ! गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? . २२ उत्तर-हे गौतम ! वे दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा--पर्याप्त गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल और अपर्याप्त गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy