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भगवती मूत्र-स. ८ उ. १ पुद्गलों का प्रयोग-परिणतादि स्वरूप
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दूसरा दण्डक १७ प्रश्न-मुहमपुढविकाइअएगिदिअपयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता ? ___१७ उत्तर-गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-(केया अपज्जत्तगं पढमं भगति पच्छा पजत्तगं*) पजतगसुहुमपुढविकाइअ० जाव परिणया य अपजत्तगसुहमपुढविकाइअ० जाव परिणया य । वादरपुढविकाइअएगिंदिय० एवं चेव, एवं जाव वणस्सइकाइया । एक्केका दुविहा सुहुमा य बायरा य पजत्तगा अपजत्तगा य भाणियव्वा ।
१८ प्रश्न-वेइंदियपओगपरिणयाणं पुच्छा ।
१८ उत्तर-गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पजत्तगवेइं. दियपओगपरिणया य अपजत्तग० जाव परिणया य । एवं तेइंदिया वि एवं चरिंदिया वि। ... १९ प्रश्न-रयणप्पभापुढविणेरड्अ० पुच्छा।
१९ उत्तर-गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पजत्तगरयणप्पभा० जाव परिणया य अपजत्तग० जाव परिणया य, एवं जाव अहेसत्तमा। - २० प्रश्न-समुच्छिमजलयरतिरिक्ख० पुच्छा।
" यह पाठ वाचनबर से सम्बन्धित है-डोशी।
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