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________________ भगवती सूत्र ८ . १लों का प्रयोग-परिणतादि स्वरूप न्द्रिय, चउरिन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल भी जान लेने चाहिये । ७ प्रश्न - हे भगवन् ! पञ्चेन्द्रियं प्रयोग - परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? ७ उत्तर - हे गौतम! वे चार प्रकार के कहे गये । यथा - नारक पञ्चेन्द्रिय प्रयोग- परिणत पुद्गल, तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय प्रयोग- परिणत पुद्गल, मनुष्य पंचेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल और देव पंचेन्द्रिय प्रयोग- परिणत पुद्गल । १९३५ ८ प्रश्न - णेरड्यापचंदियपओगपरिणयाणं पुच्छा | ८ उत्तर - गोयमा ! सत्तविद्या पण्णत्ता, तं जहा - रयणप्पभापुढविणेरइयपंचिंदियपयोगपरिणया वि, जाव अहेसत्तमपुढविणेरइअयोगपरिणया वि । भावार्थ - ८ प्रश्न हे भगवन् ! नैरयिक पंचेन्द्रिय प्रयोगपरिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? ८ उत्तर - हे गौतम! नैरयिक पंचेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल सात प्रकार के कहे गये हैं । यथा - रत्नप्रभा पृथ्वी नैरयिक पंचेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल यावत् अधःसप्तम पृथ्वी नैरयिक पंचेन्द्रिय प्रयोग- परिणत पुद्गल । Jain Education International ९ प्रश्न - तिरिक्खजोणिय पंचिंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा । ९ उत्तर - गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- जलयरपंचिंदिय तिरिक्ख जोणियपयोगपरिणया, थलयरपंचिंदिय० खहयरपंचिंदिय० । १० प्रश्न - जलयर तिरिक्खजोणियपयोगपरिणयाणं पुच्छा । १० उत्तर - गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - संमुच्छिमजल For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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