________________
१२३४
भगवती सूत्र-श. ८ उ. १ पुद्गलों का प्रयोग-परिणतादि स्वरूप
७ प्रश्न-पंचिंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा।
७ उत्तर-गोयमा ! चउन्विहा पण्णत्ता । तं जहा-णेरइयपंचिं. दियपयोगपरिणया, तिरिक्खजोणियपंचिंदियपयोगपरिणया. एवं मणुस्सपंचिंदियपयोगपरिणया, देवपंचिंदियपयोगपरिणया य।
भावार्थ-३ प्रश्न-हे भगवन् ! प्रयोगपरिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? ___३ उत्तर-हे गौतम ! पांच प्रकार के कहे गये है । यथा-एकेन्द्रिय प्रयोग परिगत, बेइन्द्रिय प्रयोग परिणत यावत् पञ्चेन्द्रिय प्रयोग-परिणत । - ४ प्रश्न-हे भगवन् ! एकेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? ___ ४ उत्तर-हे गौतम ! पांच प्रकार के कहे गये है । यथा-पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल यावत् वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग-परिणत
पुद्गल।
५ प्रश्न-हे भगवन् ! पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? ___५ उत्तर-हे गौतम ! दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा-सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल और बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोगपरिणत पुद्गल । इसी प्रकार अप्कायिक एकेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पुद्गल दो प्रकार के जानने चाहिये । यावत् इसी तरह वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग-परिणत पद्गल दो प्रकार के जानने चाहिये।
६ प्रश्न-हे भगवन् ! बेइन्द्रिय प्रयोग-परिणत पद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
६ उत्तर-हे गौतम ! वे अनेक प्रकार के कहे गये हैं। इसी प्रकार तेह
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org