________________
शतक ८
१-१ पोग्गल २ आसीविस ३ रुक्ख ४ किरिय ५ आजीव
६ फासुय ७ मदत्ते । ८ पडिणीय ९ बंध १० आराहणा य दम अट्टमंमि सए॥
भावार्थ-१ पुद्गल २ आशीविष ३ वृक्ष ४ क्रिया ५ आजीविक ६ प्रासुक ७ अदत्त ८ प्रत्यनीक ९ बन्ध और १० आराधना । आठवें शतक के ये दस उद्देशक है।
विवेचन--(१) पुद्गल के परिणाम के विषय में प्रथम उद्देशक है । (२)आशीविष आदि के सम्बन्ध में दूसरा उद्देशक है । (३) वृक्षादि के सम्बन्ध में तीसरा उद्देशक है। (४) कायिकी आदि क्रियाओं के सम्बन्ध में चौथा उद्देशक है । (५) आजीविक के विषय में पांचवा उद्देशक है। (६) प्रासुक दान आदि के विषय में छठा उद्देशक है । (७) अदत्तादान आदि के विषय में सातवाँ उद्देशक है। (८) प्रत्यनीक-गुर्वादि के द्वेषी विषयक आठवां उद्देशक है। (२) बन्ध-प्रयोग वन्ध आदि के विषय में नौवां उद्देशक है। (१०) आराधना आदि के विषय में दसवां उद्देशक है । यह संग्रह-गाथा का अर्थ है ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org