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भगवती सूत्र-श. ७ उ. १ अनाहारक और अल्पाहारक का काल
अनाहारक और अल्पाहारक का काल
२ प्रश्न-तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव एवं वयासी-जीवे णं भंते ! के समयमणाहारए भवइ ।
२ उत्तर-गोयमा ! पढमे समए सिय आहारए सिय अणाहारए, बिइए समए सिय आहारए सिय अणाहारए, तइए समए सिय
आहारए सिय अणाहारए, चउत्थे समए णियमा आहारए । एवं दंडओ । जीवा य एगिंदिया य चउत्थे समए, सेसा तइए समए ।
३ प्रश्न-जीवे णं भंते ! कं समयं सव्वप्पाहारए भवइ ?
३ उत्तर-गोयमा ! पढमसमयोववण्णए वा चरमसमयभवत्थे वा, एत्य णं जीवे सव्वप्पाहारए भवइ । दंडओ भाणियन्वो जाव वेमाणियाणं।
कठिन शब्दार्थ-सव्वप्पाहारए-सब से अल्प (अल्पतम) आहार वाला। भावार्थ-२ प्रश्न-उस काल उस समय में गौतमस्वामी ने इस प्रकार पूछा कि-हे भगवन् ! परभव में जाता हुआ जीव, किस समय में अनाहारक (आहार नहीं करने वाला) होता है ?
२ उत्तर-हे गौतम ! परभव में जाता हुआ जीव, प्रथम समय में कदाचित् आहारक होता है और कदाचित् अनाहारक होता है। दूसरे समय में कदा. चित् आहारक और कदाचित् अनाहारक होता है। तीसरे समय में भी कदाचित् आहारक और कदाचित् अनाहारक होता है। परन्तु चौथे समम में नियमा
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