________________
भगवती सूत्र-ग. ७ उ. ६ रथमूमल संग्राम
१२०३
-
रेन्द्र असुरकुमारराज चमर, कोणिक राजा का पर्याय-संगतिक (पूरण नामक तापस को अवस्था का साथी) मित्र था । इसलिये हे गौतम ! देवेन्द्र देवराज शक ने और असुरेन्द्र असुरकुमारराज चमर ने कोणिक को सहायता दी।
१३ प्रश्न-बहुजणे णं भंते ! अण्णमण्णस्स एवमाइनखइ, जाव परूवेह-एवं खलु बहवे मणुस्सा अण्णयरेसु उच्चावएसु संगामेसु अभिमुहा चेव पहया समाणा कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, से कहमेयं भंते ! एवं ?'
१३ उत्तर-गोयमा ! जणं से बहुजणो अण्णमण्णस्स एवं आइक्खइ-जाव उववत्तारो भवंति; जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु । अहं पुण गोयमा ! एवं आइक्खामि, जाव परूवेमि-एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वेसाली णामं णयरी होत्था, वण्णओ । तत्थ णं वेसालीए णयरीए वरुणे णामं णागणत्तुए परिवसइ, अड्ढे जाव अपरिभूए, समणोवासए, अभिगयजीवाजीवे, जाव पडिलाभेमाणे छटुं छटेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। .
कठिन शब्दार्थ-पहया-मारे गए।
भावार्थ--१३ प्रश्न-हे भगवन् ! बहुत से मनुष्य इस प्रकार कहते हैं यावत् प्ररूपणा करते हैं कि अनेक प्रकार के छोटे बड़े संग्रामों में से किसी भी संग्राम में सम्मुख रहकर युद्ध करते हुए उसमें मारे जायें, तो वे सब काल के समय काल करके देवलोकों में से किसी देवलोक में उत्पन्न होते हैं । हे भगवन !
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org